गुजरात पर्यटन की शान बनता जा रहा ‘रण उत्सव’

स्पेशल रिर्पोेट: सरोज सिनहा
अगर आप भी कभी न भूलने वाला अनुभव हासिल करना चाहते हैं तो अब बैगपैक करने का वक्त आ गया है। आप भी अपने दोस्तों, परिवार के साथ जाएं और रण की कहानी का हिस्सा बनें।
रण उत्सव हर साल गुजरात पर्यटन द्वारा नवंबर के अंत से नए साल के फरवरी तक मनाया जाता है। इस उत्सव को ‘व्हाइट डेजर्ट फेस्टिवल’ भी कहा जाता है। ७,५०५ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला, कच्छ का महान रण थार रेगिस्तान के केंद्र में स्थित है, जो एक तरफ पाकिस्तान के सिंध प्रांत को छूता है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा नमक का दलदल बनाता है।
यूं तो गुजरात ऐसा राज्य है जहां घूमने के लिए कई सारी जगह है लेकिन कच्छ एक ऐसा स्थान है जो रण उत्सव के दौरान सबसे कलरफुल और एग्जॉटिक हो जाता है। रण उत्सव हर साल अक्टूबर से फरवरी/मार्च के बीच ढोर्डाे में होता है। इस सालाना उत्सव में टूरिस्ट्स टेंट में रुक सकते हैं जिसमें तमाम तरह की फसिलटीज होती हैं। इसे बाकायदा ‘टेंट सिटी’ कहा जाता है। इस दौरान कच्छ के रण यानी दुनिया के सबसे बड़े नमक के रेगिस्तान में पहुंचकर सूर्याेदय और सूर्यास्त देखना अद्भुत होता है।

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कच्छ का रण ऐसा इलाका है जो सैकड़ों साल पहले कभी समुद्री मार्ग हुआ करता था लेकिन अब सिर्पâ अरब सागर में जाते पानी का बैक वाटर ही इस इलाके में आता है जो गर्मी में सूखते हुए इस पूरे रेगिस्तानी इलाके पर नमक की परत चढ़ा देता है। हजारों मील तक पैâले इस नमक के रेगिस्तान का स्थानीय लोगों के लिए शायद दो दशक पहले तक कोई मोल नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता के चलते आज कच्छ का यह रण पूरी दुनियां में छाया हुआ है। देश- विदेश से लोग कच्छ के रण को देखने आते हैं। यहां रूकते हैं और यहां संस्कृति से जुड़ कर उसका आनंद उठाते हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले रण के इस वैभव को पहचाना और गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए २००६ में धोरडों गांव में पहली बार रण उत्सव का आयोजन किया। यह आयोजन मात्र तीन दिन चला। लेकिन लोगों के उत्साह और इसके आकर्षण के चलते धीरे-धीरे यह आयोजन देश-दुनिया के लोगों को आकर्षित करने लगा और आज ३ से ४ महीने तक इस उत्सव का आयोजन होने लगा है। यह आयोजन अब यहां के लोगों के लिए एक त्योहार बन गया है। जिसमें सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को प्रदर्शित करने के साथ-साथ लोक नृत्य, हस्तशिल्प, स्टार गेज़िंग और ऊंट सफारी जैसे आयोजन दूर-दूर से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। भुज से १०० किलोमीटर दूर होने वाले इस रणोत्सव में आने वाले पर्यटकों के लिए ढोरडो, होडको, भिरंडियारा और द्रोबाना जैसे गाँवों में लोगों ने भूंगा (रहने का स्थल) बनवा रखा है। खास तौर से धोरडों गांव के आस-पास ग्रामीण इलाकों में बनने वाले आत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त भूंगा के अतिरिक्त अब सरकार द्वारा भी तमाम टेंट सिटी भी तैयार करायी जाती है। जिसमें रह कर आप खुद को प्रकृति की गोद में पाते हैं। यहां स्थित टेंट सिंटी में करीब ४०० टेंट लगाए जाते हैं जो एसी और नॉन-एसी दोनों होते हैं। रण उत्सव का यह त्योहार गुजरात की लोक संस्कृति की झलक भी पेश करता है। भूंगा या टेंट में रहने वालों के लिए लाइव कार्यक्रमों के आयोजन होते हैं।

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रेगिस्तान में बिछी नमक की चादर आपको बर्पâ की चादर की तरह नजर आएगी। इस व्हाइट डेजर्ट और वहां का सनसेट देखने के लिए भी हजारों लोग जमा होते हैं। इसके बाद वहां आयोजित होने वाले लेजर शो में कच्छ संस्कृति और इतिहास का वर्णन अलग ही आकर्षण पैदा करता है। चाँदनी के आकाश के नीचे, बड़ा सफेद नमक का रेगिस्तान असली लगता है। आप अपने टैंट से बाहर निकल कर ये खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यह आप को किसी और सीजन में किसी अन्य स्थान पर देखने को नहीं मिलेगा।
रण उत्सव गुजरात देश भर के उत्कृष्ट लोक कलाकारों को आकर्षित करता है। वे अपने शानदार प्रदर्शन से मेले में आने वाले लोगों का मन मोह लेते हैं। वास्तव में, उन्हें प्रदर्शन करते देखना सौभाग्य की बात है।
रण उत्सव महोत्सव में खरीदारी करना एक सुखद अनुभव है, और बहुत सारे विकल्प प्रदान करता है। विदेशी दस्तकारी के सामान, शानदार चांदी के बर्तन, जटिल कच्छ कढ़ाई और शानदार ढंग से तैयार किए गए आभूषणों में देखने के लिए बहुत कुछ है।
कच्छ के लिए एक टैगलाइन है, ‘कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा।’ इस लाइन को वहां पहुंचने के बाद आसानी से महसूस किया जा सकता है।
लोगों को यहां गुजराती संस्कृति से जुड़ी चीजें जैसे फोल्क डांस और म्यूजिक, कच्छ के कारीगरों का काम, उनके बनाए सामानों की खरीदारी करने का मौका मिलता है।

इसके अलावा यहां टूरिस्ट तमाम तरह की अडवेंचरस ऐक्टिविटीज और प्रोग्राम्स में भी हिस्सा ले सकते हैं।
अगर आप रण उत्सव जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो स्पेशल डेट्स का ध्यान रखें। जैसे हर महीने की कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जब ‘फुल मून’ या ‘डार्क मून’ होता है। अगर इन डेट्स में आप वहां मौजूद होंगे तो सफेद रेगिस्तान पर पड़ने वाली चंद्रमा की रोशनी को देखने का अलग ही आनंद होगा।
अगर आप फटॉग्रफी के शौकीन हैं, आपको तस्वीरें ाqक्लक कराना, सेल्फी लेना अच्छा लगता है तो यह जगह आपके लिए एकदम पर्फेक्ट है।
कच्छी पर्यटकों को गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए जाना जाता है। और गाँव की सैर पर जाने से बेहतर आतिथ्य का अनुभव करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है? ढोरडो, होडको, भिरंडियारा और द्रोबाना जैसे गाँवों में जाएँ।
एक बार यहां आने वाले दोबारा भी यहां आना चाहते हैं। प्रकृति और संस्कृति के इस मेल को देखने के लिए अब देश दुनिया के पर्यटक हर वर्ष कच्छ के धोरडो गांव का रूख करने लगे हैं। कभी सिर्पâ मवेशियों के पालन और हस्त शिल्प पर निर्भर रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए रण उत्सव अब आय का नया साधन बन गया है। धोरडों के मुखिया मियां हुसैन बताते हैं कि रण उत्सव के चलते आज उनके गांव के साथ-साथ आस-पास के गांवों का भी तेजी से विकास हुआ है। यही वजह है कि आज यहां देश-विदेश से अनेक पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में उसके योगदान के लिए मिलते हैं।

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