समलैंगिक विवाह को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, कहा-फैसले में कोई त्रुटि नहीं

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। सुप्रीम कोर्ट ने आज ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें विवाह समानता मामले में सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले की समीक्षा करने और भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने का आग्रह किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने निर्णयों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है और उसे “रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नजर नहीं आती।” न्यायालय ने आगे कहा कि पिछले दोनों निर्णय कानून के अनुरूप थे तथा पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी गईं। पांच न्यायाधीशों की पीठ में जस्टिस बीआर गवई, सूर्यकांत, बीवी नागरत्ना, पीएस नरसिम्हा और दीपांकर दत्ता शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था फैसला
इससे पहले अक्टूबर 2023 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समान-लिंग विवाह को कानूनी समर्थन देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाहों को छोड़कर विवाह करने का “कोई बिना शर्त अधिकार” नहीं है।
विवाह समानता पर अपना फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकता या चीजों को अलग तरीके से नहीं पढ़ सकता। उन्होंने कहा कि उनकी राय में, इस मुद्दे पर संसद को फैसला करना चाहिए। इसके साथ ही सीजेआई ने समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए केंद्र और पुलिस बलों को कई निर्देश और दिशानिर्देश भी जारी किए थे।

