विपक्ष के विरोध के बीच कल लोकसभा में पेश होगा वक्फ विधेयक

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक में कई अहम बदलाव किए हैं, जो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों और सहयोगी दलों जेडीयू व टीडीपी के सुझावों के आधार पर किए गए हैं। यह विधेयक लोकसभा में पेश किया जाएगा।
मुख्य संशोधन और विवादित प्रावधान:
धारा 14 के तहत कोई भी व्यक्ति कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो तभी वह अपनी संपत्ति वक्फ कर सकेगा।
संपत्ति को वक्फ करने में धोखाधड़ी न होने का प्रमाण आवश्यक होगा।
गैर-मुस्लिम को वक्फ बोर्ड का सीईओ बनाने की अनुमति दी गई है।
राज्य सरकारों को वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य नियुक्त करने का अधिकार।
जिला कलेक्टर को यह तय करने की शक्ति देना कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी।
“उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” की अवधारणा को समाप्त किया गया।
वक्फ संपत्तियों को छह महीने के भीतर केंद्रीय डेटाबेस में पंजीकृत करना अनिवार्य।
वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को अंतिम मानने का प्रावधान हटाया गया।
सरकार का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में सुधार लाना और तकनीकी दक्षता बढ़ाना है।
विरोध और विपक्षी रुख:
विधेयक के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और कई अन्य मुस्लिम संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि उनके 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया, जबकि एनडीए सांसदों के 14 संशोधन स्वीकार किए गए।
विधेयक की संसद में स्थिति:
लोकसभा में एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत है और सहयोगी दलों का समर्थन भी मिल रहा है।
राज्यसभा में भी एनडीए के पास 118 सांसदों का समर्थन है, जो विधेयक पारित कराने के लिए आवश्यक है।
बीजेपी ने अपने सांसदों को सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी किया है।
विपक्षी “INDIA” गठबंधन बैठक कर अपनी रणनीति तैयार कर रहा है।
वाईएसआर कांग्रेस, ओवैसी की AIMIM और आज़ाद समाज पार्टी ने विधेयक के विरोध की घोषणा की है।
सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर टकराव तय माना जा रहा है।

