सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को फटकारा

अवैध मकान ध्वस्तीकरण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण को शहर में मकान ढहाने के अमानवीय और अवैध कृत्य पर कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए किए गए ध्वस्तीकरण ने “अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि देश में कानून का शासन है और इस तरह से नागरिकों के आवासीय ढांचों को गिराया नहीं जा सकता।
मकान मालिकों को मिलेगा 10-10 लाख रुपये का मुआवजा
शीर्ष अदालत ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि छह हफ्ते के भीतर ध्वस्त किए गए मकानों के मालिकों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा था कि इस तरह की घटनाओं से गलत और चौंकाने वाला संदेश जाता है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने जिन मकानों को ध्वस्त किया, उन्हें गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की संपत्ति मान लिया था, जबकि वह 2023 में मारा जा चुका था।
किन याचिकाओं पर हुई सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट ने वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य प्रभावित लोगों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनके मकान गिरा दिए गए थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका की थी खारिज
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के लूकरगंज में हुए ध्वस्तीकरण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ताओं को 6 मार्च 2021 को इस निर्माण कार्य के संबंध में नोटिस जारी किया गया था।

