कानपुर में विदेश नौकरी के नाम पर सवा लाख लोगों से ठगी, बड़ा खुलासा

कानपुर, जनमुख न्यूज़। जनपद में विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर सवा लाख लोगों से ठगी करने वाले गैंग का बड़ा खुलासा हुआ है। गिरोह की गिरफ्तार युवतियों ने बताया कि वे खुद नौकरी.कॉम पर नौकरी की तलाश कर रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे साइबर ठगी का हिस्सा बन गईं। पुलिस ने गैंग के फरार 11 अन्य सदस्यों की तलाश तेज कर दी है।
ऐसे फंसे ठगी के जाल में
पंजाब के विकास से ठगी के मामले में क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने हरिओम पांडेय, अनुराग दीक्षित, आरिबा अंसारी और कीर्ति गुप्ता उर्फ स्नेहा को गिरफ्तार किया। डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आब्दी के मुताबिक, चमनगंज निवासी आरिबा और किदवई नगर की कीर्ति नौकरी.कॉम के जरिए हरिओम पांडेय के संपर्क में आई थीं।
30 हजार रुपये महीने की नौकरी से बनीं ठग
आरिबा और कीर्ति ने नौकरी के लिए अपना रिज्यूम फर्जी वेबसाइट पर एचआर को भेजा, जिसके बाद हरिओम पांडेय ने उन्हें 30 हजार रुपये मासिक वेतन पर काम पर रख लिया। ठगी की जानकारी होने के बावजूद दोनों युवतियां उसके साथ काम करती रहीं। पुलिस पूछताछ में उन्होंने बताया कि उन्हें खुद नहीं पता कि उन्होंने कितने लोगों से ठगी की।
बदायूं के नंबर से आया था कॉल
पीड़ित विकास को जिस नंबर से कॉल आया, वह बदायूं के युवक के नाम पर रजिस्टर्ड निकला। पुलिस जांच में पता चला कि युवक ने पहले ही मोबाइल गुम होने की शिकायत दर्ज कराई थी। गिरोह ने फर्जी तरीके से कई सिम कार्ड रजिस्टर कर रखे थे, जिनका इस्तेमाल ठगी में किया जाता था।
11 और महिलाएं शामिल, मोबाइल नंबर पुलिस को मिले
पूछताछ में आरिबा और कीर्ति ने खुलासा किया कि शहर की 11 और महिलाएं व युवतियां इस गिरोह का हिस्सा हैं। पुलिस ने जब इन मोबाइल नंबरों की लोकेशन निकाली, तो वे चमनगंज, बाबूपुरवा, किदवई नगर, ग्वालटोली, मेस्टन रोड जैसे इलाकों में सक्रिय मिले। हालांकि, मंगलवार दोपहर तक ये सभी नंबर बंद हो गए थे।
तीन चरणों में होती थी ठगी
1. पहला चरण: गिरोह का सरगना हरिओम नौकरी.कॉम से विदेश जाने वालों का डेटा कॉल करने वाली युवतियों को देता था। युवतियां लोगों से बात कर उन्हें झांसे में लेती थीं, इसके बदले उन्हें 10 हजार रुपये मिलते थे।
2. दूसरा चरण: कीर्ति और आरिबा आवेदकों से बातचीत कर रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार करतीं, जिसके लिए उन्हें 30 हजार रुपये दिए जाते थे।
3. तीसरा चरण: हरिओम और अनुराग सत्यापन और ऑफर लेटर के नाम पर 50 हजार से 1 लाख रुपये तक वसूलते थे। इसके बाद आवेदकों की कॉल रिसीव करना बंद कर देते थे।
व्हाट्सएप चैट भी कर देते थे गायब
गिरोह के सदस्य व्हाट्सएप चैट पर डिसएपियरिंग मैसेज का ऑप्शन ऑन रखते थे, जिससे कुछ समय बाद सारी बातचीत खुद-ब-खुद डिलीट हो जाती थी।
बैंकों से डेटा जुटा रही पुलिस
क्राइम ब्रांच की एक टीम गिरोह के बैंक अकाउंट्स की जांच में जुटी है। फरार 11 अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

