रामनवमी वैâसे करें पूजा, क्या है शुभ मुहुर्त

६ अप्रैल को रामनवमी है। राम जी को प्रसन्न करने और उनकी विशेष कृपा पाने के लिए राम नवमी की तिथि को सबसे शुभ माना गया है। इस दिन उनकी पूजा-अर्चना एवं दान-पुण्य से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तो आइए हम आपको रामनवमी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार राम नवमी पूजा अनुष्ठान करने का सबसे शुभ समय मध्याह्न काल यानी छह घटी (लगभग २ घंटे २४ मिनट) तक रहता है, सुबह तकरीबन ११ बजे से दोपहर १ बजे यह समय आता है। मंदिरों में इस क्षण को भगवान श्री राम का जन्मकाल के रूप में मनाया जाता हैं। इस दौरान भगवान श्री राम के नाम का जाप और जन्मोत्सव चरम पर होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में १२ बजे के समय को मध्याह्न काल माना जाने लगा। राम नवमी का अनुष्ठान भव्यता के साथ अयोध्या में मनाया जाता है। राम नवमी पर श्रद्धालु अयोध्या आते हैं। सरयू नदी में पवित्र स्नान करने के बाद भक्त श्री राम जी के जन्मोत्सव में भाग लेने के लिए राम मंदिर जाते हैं। राम नवमी के दिन आठ प्रहर उपवास भी किया जाता है। भक्तों को सूर्योदय से सूर्योदय तक व्रत पालन करना चाहिए। यह व्रत तीन तरह से रखा जाता है, पहला नैमित्तिक- जिसे बिना किसी कारण के किया जाता है, दूसरा नित्य – जिसे जीवन पर्यंत बिना किसी कामना और इच्छा के किया जाता है और काम्य – जिसे किसी विशेष मनोरथ की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसके अलावा रामनवमी के दिन भक्त रामायण का पाठ करते हैं। रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ी जाती है और घरों मंदिरों में कीर्तन किया जाता है। भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और पालने में झुलाते हैं।
राम नवमी के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार राम नवमी का विशेष महत्व होता है इसलिए राम नवमी की पूजा के लिए सुबह ही स्नान कर लें। अब एक चौकी लेकर उसपर भगवान श्री राम, सीता जी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर दें। अब भगवान राम को चंदन लगाकर उन्हें फूल, अक्षत, धूप अर्पित करें। इसके बाद शुद्ध देसी घी से दीप जलाकर प्रभु को मिठाई व फलों का भोग लगाएं। अब आप श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड या रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। इस दौरान भगवान राम के मंत्रों का भी जाप करें, इससे मन में सकारात्मक भाव बना रहता है। अब प्रभु की आरती करें और पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
रामनवमी पर भी होती है कन्या पूजा
अष्टमी या नवमी तिथि को नौ कन्याओं को आमंत्रित कर भोजन कराना शुभ माना गया है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में अष्टमी की तिथि ५ अप्रैल और नवमी की तिथि ६ अप्रैल का पड़ रही है, इस दिन कन्या पूजन कर सकते हैं. इस दौरान हलवा, पूरी, चना और नारियल का प्रसाद दें और कन्याओं के पैर धोकर आशीर्वाद प्राप्त करें।

इसे भी पढ़े-
गणेश चतुर्थी 2024: विशेषता और महत्व
Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय स्थान रखता है। यह पर्व भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता Read more

पर्यावरण के महान संरक्षक और सम्मानक थे ‘बाबा नानक’

जनमुख : धर्म-कर्म।  गुरूनानक देव जी ने केवल भारत देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपने ज्ञान प्रकाश द्वारा Read more

जब लालची आदमी ने नहीं पिलाया गुरु नानक देव जी को पानी

जनमुख न्यूज। गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ यात्रा किया करते थे एक बार गांव के तरफ से Read more

मान्यताएं व परम्परा का वैशिष्टय स्वरूप है ‘देव दीपावली उत्सव’

जनमुख,न्यूज। निर्णय सिधु एवं स्मृति कौस्तुभी में उल्लेखित ‘देव दीपावली पुरातन काल से पौराणिक मान्यताएं एवं कथाओं पर प्रचलित है। Read more

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना से ग्रहों की शांति
मान्यता है कि मां की पूजा करने से कुंडली में मंगल दोष शांत होता है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से राहु-केतु की अशुभता कम होती है और शनि नवरात्रि में नौ दिन उपवास रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव में कमी आती है। यही नहीं ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से नवग्रह दोष समाप्त होते हैं और दुर्गा सप्तशती पाठ से जीवन में शांति और सौभाग्य बढ़ता है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। नवरात्र के दौरान देवी मां दुर्गा पृथ्वी लोक पर रहती हैं। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही दुख एवं संकट भी दूर हो जाते हैं।
प्राचीन ग्रंथों में नवरात्रि का महत्व

इसे भी पढ़े-
गणेश चतुर्थी 2024: विशेषता और महत्व
Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय स्थान रखता है। यह पर्व भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता Read more

पर्यावरण के महान संरक्षक और सम्मानक थे ‘बाबा नानक’

जनमुख : धर्म-कर्म।  गुरूनानक देव जी ने केवल भारत देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपने ज्ञान प्रकाश द्वारा Read more

जब लालची आदमी ने नहीं पिलाया गुरु नानक देव जी को पानी

जनमुख न्यूज। गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ यात्रा किया करते थे एक बार गांव के तरफ से Read more

मान्यताएं व परम्परा का वैशिष्टय स्वरूप है ‘देव दीपावली उत्सव’

जनमुख,न्यूज। निर्णय सिधु एवं स्मृति कौस्तुभी में उल्लेखित ‘देव दीपावली पुरातन काल से पौराणिक मान्यताएं एवं कथाओं पर प्रचलित है। Read more

देवी भागवत पुराण

इसे भी पढ़े-
गणेश चतुर्थी 2024: विशेषता और महत्व
Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय स्थान रखता है। यह पर्व भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता Read more

पर्यावरण के महान संरक्षक और सम्मानक थे ‘बाबा नानक’

जनमुख : धर्म-कर्म।  गुरूनानक देव जी ने केवल भारत देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपने ज्ञान प्रकाश द्वारा Read more

जब लालची आदमी ने नहीं पिलाया गुरु नानक देव जी को पानी

जनमुख न्यूज। गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ यात्रा किया करते थे एक बार गांव के तरफ से Read more

मान्यताएं व परम्परा का वैशिष्टय स्वरूप है ‘देव दीपावली उत्सव’

जनमुख,न्यूज। निर्णय सिधु एवं स्मृति कौस्तुभी में उल्लेखित ‘देव दीपावली पुरातन काल से पौराणिक मान्यताएं एवं कथाओं पर प्रचलित है। Read more

‘शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।

इसे भी पढ़े-
गणेश चतुर्थी 2024: विशेषता और महत्व
Ganesh Chaturthi 2024

गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय स्थान रखता है। यह पर्व भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता Read more

पर्यावरण के महान संरक्षक और सम्मानक थे ‘बाबा नानक’

जनमुख : धर्म-कर्म।  गुरूनानक देव जी ने केवल भारत देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपने ज्ञान प्रकाश द्वारा Read more

जब लालची आदमी ने नहीं पिलाया गुरु नानक देव जी को पानी

जनमुख न्यूज। गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ यात्रा किया करते थे एक बार गांव के तरफ से Read more

मान्यताएं व परम्परा का वैशिष्टय स्वरूप है ‘देव दीपावली उत्सव’

जनमुख,न्यूज। निर्णय सिधु एवं स्मृति कौस्तुभी में उल्लेखित ‘देव दीपावली पुरातन काल से पौराणिक मान्यताएं एवं कथाओं पर प्रचलित है। Read more

सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते?’

(अर्थ: जो भी भक्त माँ दुर्गा की शरण में आता है, वे उसे हर कष्ट से मुक्ति देती हैं।)

अष्टमी पर हवन के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त : प्रातः ०४:३५ से प्रातः ०५:२१ बजे तक

प्रातः सन्ध्या : प्रातः ०४:५८ से प्रातः ०६:०७ बजे तक

अभिजित मुहूर्त : सुबह ११:५९ से दोपहर बाद १२:४९ बजे तक

विजय मुहूर्त : दोपहर बाद ०२:३० सायं ०३:२० बजे तक

राम नवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : प्रातः ०४:३४ से प्रातः ०५:२० बजे तक

प्रातः सन्ध्या : प्रातः ०४:५७ से प्रातः ०६:०५ बजे तक

अभिजित मुहूर्त : प्रातः ११:५८ से १२:४९ बजे तक

विजय मुहूर्त : दोपहर बाद ०२:३० से सायं ०३:२० बजे तक

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *