जलती लाशों के बीच मणिकर्णिका घाट पर नगर वधुओं की भावांजलि से गूंजा बाबा का श्रृंगार महोत्सव

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। शुक्रवार की रात को काशी के मणिकर्णिका घाट स्थित बाबा महाश्मशानेश्वर के मंदिर में सांयकाल पंचमकार का भोग अर्पित कर तांत्रिक विधि-विधान से भव्य आरती की गई। मान्यता है कि बाबा को प्रसन्न करने के लिए शक्ति ने योगिनी रूप धारण किया था। इस अवसर पर बाबा का प्रांगण रजनीगंधा, गुलाब और अन्य सुगंधित पुष्पों से मनोहारी रूप से सजाया गया था।
आरती के पश्चात नगर वधुओं ने अपने पारंपरिक गायन और नृत्य के माध्यम से बाबा को भावांजलि समर्पित की और उनसे अगला जन्म सुधारने की मन्नत मांगी। यह दृश्य अत्यंत भावपूर्ण था, जिसे देखकर वहां उपस्थित जनसमुदाय की आंखें नम हो गईं।
श्रृंगार महोत्सव की परंपरा के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया कि यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। जब राजा मानसिंह ने बाबा के इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, तब मंदिर में संगीत प्रस्तुत करने के लिए कोई भी कलाकार तैयार नहीं हुआ। हिंदू परंपरा में हर पूजा और शुभ कार्य में संगीत का विशेष स्थान होता है, और जब यह कार्य अधूरा रह गया तो राजा बहुत दुखी हुए।
यह बात धीरे-धीरे नगर में फैली और काशी की नगर वधुओं तक पहुंची। तब उन्होंने संकोच के साथ राजा को यह संदेश भिजवाया कि यदि उन्हें अवसर मिले तो वे अपने आराध्य, संगीत के जनक नटराज महाश्मशानेश्वर को भावांजलि अर्पित कर सकती हैं। राजा मानसिंह इस प्रस्ताव से अत्यंत प्रसन्न हुए और नगर वधुओं को ससम्मान आमंत्रित किया। तभी से यह परंपरा प्रारंभ हुई। नगर वधुओं का यह भी मानना है कि इस परंपरा को निभाते रहने से उनके जीवन की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। तभी से आज तक बिना आमंत्रण के वे चैत्र नवरात्रि की सप्तमी पर स्वयं मणिकर्णिका घाट पहुंचती हैं।
आरती के बाद बाबा का रात्रि जागरण प्रारंभ हुआ, जो जलती चिताओं के समीप मंदिर परिसर में अपने पारंपरिक स्थान से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के स्वागत से हुई, जिसमें मंदिर अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता और व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने सभी का अभिनंदन किया।
इसके बाद भजनों की प्रस्तुति में ‘दुर्गा दुर्गति नाशिनी’, ‘डिम डिम डमरू कर बाजे’, ‘तू ही तू जगत का आधार’, ‘ओम नमः शिवाय’, ‘मणिकर्णिका स्रोत’, ‘खेले मसाने में होरी’ जैसे भजनों के साथ दादरा, ठुमरी और चैती की सुरीली प्रस्तुतियों ने वातावरण को भक्ति रस में डुबो दिया। काशी का प्रसिद्ध भजन ‘औम मंगलम औमकार मंगलम’, ‘बम लहरी बम बम लहरी’ जैसे गीतों ने श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया।
इस आयोजन में अध्यक्ष चैनू प्रसाद गुप्ता, व्यवस्थापक गुलशन कपूर, महामंत्री बिहारी लाल गुप्ता, महंत संजय झींगरन, विजय शंकर पांडेय, दिलीप यादव, संजय गुप्ता, दीपक तिवारी, अजय गुप्ता, रिंकू पांडेय, मनोज शर्मा सहित अनेक पदाधिकारी और श्रद्धालु शामिल हुए।

