पोप फ्रांसिस का निधन: मानवता के संदेशों से भरा एक युग हुआ समाप्त

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। पोप फ्रांसिस अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को वेटिकन सिटी स्थित अपने निवास कासा सांता मार्टा में उन्होंने सुबह 7:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) अंतिम सांस ली। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस लंबे समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में अस्पताल में भी भर्ती रहे थे।
वेटिकन समाचार के अनुसार, पिछले एक महीने से वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। 24 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वे अपने निवास लौटे थे और वहां से उन्होंने लोगों को आशीर्वाद भी दिया था। हाल ही में ईस्टर के मौके पर वे सार्वजनिक रूप से नजर आए थे, जिससे विश्वभर में उनके अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई थी।
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे थे। वे 1969 में कैथोलिक पादरी बने और 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद पोप चुने गए। वे जेसुइट ऑर्डर से पहले पोप थे और 8वीं शताब्दी के बाद यूरोप के बाहर से चुने गए पहले पोप बने। उन्होंने सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी से प्रेरित होकर “फ्रांसिस” नाम को चुना था।
वेटिकन ने अब 14 दिन की आधिकारिक शोक अवधि की घोषणा की है। इसके बाद कार्डिनल सम्मेलन द्वारा नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
अपने अंतिम संदेश में पोप फ्रांसिस ने दुनिया के नेताओं से अपील की थी कि वे डर के आगे न झुकें और जरूरतमंदों की मदद, भूख से लड़ाई और विकास की पहलों को प्राथमिकता दें। उन्होंने लिखा था: “डर दूसरों से अलगाव की ओर ले जाता है। उपलब्ध संसाधनों का उपयोग शांति के हथियारों के रूप में करें—ऐसे हथियार जो मौत के बीज बोने के बजाय भविष्य का निर्माण करते हैं। मानवता का सिद्धांत हमारे दैनिक कार्यों की पहचान बनने से कभी न चूके।”

