पाकिस्तानी गोलाबारी से पुंछ में भारी तबाही: 11 नागरिकों की मौत, दर्जनों घायल; स्कूल-कॉलेज बंद

जम्मू, जनमुख न्यूज़। सीमा पार से हो रही गोलाबारी में अचानक तीव्र वृद्धि देखी गई है, जो छोटे हथियारों से बढ़कर अब भारी तोपों तक पहुंच गई है। पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) के पास बसे नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिससे कम से कम 11 लोगों की जान चली गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
कश्मीर घाटी के उरी और तंगधार सेक्टरों में भी जोरदार गोलाबारी की आवाजें सुनी गईं, लेकिन सबसे अधिक तबाही जम्मू के पुंछ जिले में हुई, जहां 1971 के युद्ध के बाद पहली बार तोपों के गोले सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ आवासीय और सरकारी इमारतों पर गिरे हैं।
गोलाबारी के बाद सैकड़ों स्थानीय लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर गए हैं। प्रशासन ने चंडक, लसाना, सनाई और साथरा में राहत शिविर बनाए हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पहले भी गोलाबारी होती रही है, लेकिन इस बार गोले पहली बार शहर के अंदरूनी हिस्सों में और रिहायशी इलाकों में गिरे हैं।
पुंछ जिले की गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष नरिंदर सिंह ने बताया कि 2019 की बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भी कुछ गोले पुंछ की सीमा पर गिरे थे, लेकिन इस बार नुकसान बहुत गंभीर है। जम्मू में रहने वाले सिख समुदाय के कम से कम पांच लोगों की मौत हो चुकी है और स्थानीय गुरुद्वारा सिंह सभा की इमारत को भी नुकसान हुआ है।
मारे गए लोगों में दो महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं। कलानी गांव में ज़ोया खान (14) और ज़ैन खान (12) की मौत उनके घर पर गोला गिरने से हुई, जबकि उनके पिता रमीज खान घायल हैं। सिंडीकेट चौक पर दुकान खोलते वक्त 55 वर्षीय अमरीक सिंह और 48 वर्षीय रंजीत सिंह की मौत हो गई। अमरीक सिंह धार्मिक आयोजनों में भजन गाते थे।
सात वर्षीय मरियम खातून की भी अपने घर के आंगन में मौत हो गई, जबकि उसकी बहन इरम नाज घायल हुई है। डुंगस गांव में 13 वर्षीय विहान भार्गव की जान गई। वहीं मेंढर के मनकोट क्षेत्र में बलविंदर कौर (35) की मौत और उनकी 12 वर्षीय बेटी रविंदर कौर घायल हुई हैं।
अन्य मृतकों की पहचान अमरजीत सिंह (47), मोहम्मद अकरम (40) और काजी मोहम्मद इकबाल के रूप में हुई है।
सेना के जनसंपर्क अधिकारी, लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बरतवाल ने कहा कि 6-7 मई की रात को पाकिस्तान ने अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें तोपों का इस्तेमाल भी किया गया। पुंछ के कृष्णाघाटी, शाहपुर और मनकोट, तथा राजौरी के लाम, मंजाकोट और गंभीर ब्राह्मणा में भी भारी गोलाबारी हुई है।
जोरा फार्म के लियाकत अली ने बताया कि उन्हें आरएस पुरा के आईटीआई कॉलेज में स्थानांतरित किया गया है, जहां सरकार ने अस्थायी रूप से रहने की व्यवस्था की है।
इस बीच, घायलों की मदद के लिए जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में युवाओं ने रक्तदान किया। सुरक्षा कारणों से जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ जिलों में सभी स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है।
गुरुद्वारा समिति अध्यक्ष नरिंदर सिंह ने भावुक होकर बताया कि अमरीक सिंह उनके साथ हालात का जायजा लेने निकले थे और कुछ घंटे बाद ही गोलाबारी में मारे गए। वह अपनी दुकान के अंदर थे, जब एक गोला शटर को भेदता हुआ उनके ऊपर गिरा।

