विवादास्पद टिप्पणी मामले में मध्य प्रदेश के मंत्री को सुप्रीम कोर्ट से पड़ी फटकार, हाईकोर्ट और भी सख्त

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज। कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गयी कथित विवादास्पद टिप्पणी मामले में मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट से भी करारा झटका लगा है। आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए एफआईआर दर्ज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में विजय शाह ने एफआईआर पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट तत्काल इस मामले की सुनवाई से इंकार करते हुए विजय शाह को कड़ी फटकार लगायी।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया। सीजेआई ने शाह के वकील से कहा कि आप किस तरह के बयान दे रहे हैं। आप सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री हैं।’ इस पर वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एफआईआर पर रोक लगाने की मांग कर रहा है। पीठ ने कहा कि याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने १४ मई को शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। शाह ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कुंवर विजय शाह को फटकार लगाते हुए कहा कि जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है, तो संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें पता होना चाहिए कि वह क्या कह रहे हैं।
इससे पहले बुधवार को महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री विजय शाह के विवादित बयान पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। साथ ही एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। मंत्री विजय शाह के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस अतुल श्रीधरन तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई । हाईकोर्ट के आदेशानुसार मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं किये जाने पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त की है। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर ऐसे कंटेंट के साथ लिखी गयी है,जो चुनौती देने पर निरस्त हो जाये। युगलपीठ ने आदेश में उल्लेखित कंटेंट के बारे बताते हुए एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है। इसके अलावा एफआईआर में पुलिस विवेचना की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट द्वारा की जायेगी।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ, मीडिया और राष्ट्र को पाकिस्तान के खिलाफ हमारे सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की प्रगति के बारे में जानकारी देने वाले सशस्त्र बलों का चेहरा थीं। मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, जो किसी और के लिए नहीं बल्कि उनके लिए ही हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि उनकी टिप्पणी संबंधित अधिकारी के लिए बल्कि सशस्त्र बलों के लिए भी अपमानजनक और खतरनाक है।बयान प्रथम दृष्टया मुस्लिम धर्म के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य और दुश्मनी या घृणा या दुर्भावना पैदा करने की प्रवृत्ति वाला है।
मालूम हो कि विजय शाह उस समय सुर्खियों में आ गए, जब एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें उन्हें ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विजय शाह को कर्नल कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और गटर की भाषा का इस्तेमाल करने के लिए फटकार लगाई थी। कोर्ट पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
विवाद बढ़ने पर मंत्री ने मांगी थी माफी
कड़ी निंदा के बाद मध्य प्रदेश के आदिवासी मामलों के मंत्री ने कहा कि अगर किसी को उनके बयान से ठेस पहुंची है, तो वह १० बार माफी मांगने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वह कर्नल कुरैशी का अपनी बहन से भी ज्यादा सम्मान करते हैं।

