बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना पर फंसी यूपी सरकार, विदेशों में भी हो रहा है विरोध

लखनऊ, जनमुख न्यूज। बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना को लेकर विवाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है, जहां सेवायत गोस्वामी समाज के विरोध को विदेशों में भी समर्थन मिल रहा है वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित इस परियोजना के तहत वृंदावन में स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर के आसपास ५ एकड़ में कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है, जिसकी अनुमानित लागत ५०० करोड़ है। इस परियोजना का उद्देश्य तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है, लेकिन सेवायत गोस्वामी समाज इसे मंदिर की परंपरा और स्वायत्तता पर हस्तक्षेप मानते हुए विरोध कर रहा है।
अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूके सहित विदेशों में बसे भारतीय जो अक्सर स्वदेश आने पर खास तौर पर बांके बिहारी मंदिर के दर्शनों के लिए आते रहते हैं ने इस प्रस्तावित इस परियोजना पर विरोध जताया है। उनका कहना है योगी सरकार जनता की सुविधा का इतना ही ख्याल रखना चाहती है तो अब तक चुप क्यों थी। भारत समेत दुनिया के सभी बांके बिहारी प्रेमी सुविधाएं चाहते हैं लेकिन विरासत और पुरातन धरोहर को नष्ट करने की कीमत पर नहीं। लोगों का कहना है कि सरकार कुंज गलियों में फैली गंदगी और कचरों से भरी नालियों को नहीं देखती। वृंदावन में सफाई व्यवस्था जीरो है, लेकिन सरकार का ध्यान विरासती शहर में जनता को बाकी सुविधाएं देने व सफाई के बजाए मंदिर के खजाने की सफाई की ओर ज्यादा है।
सेवायतों की चेतावनी
सेवायत गोस्वामी समाज का कहना है कि बांके बिहारी मंदिर उनके पूर्वजों द्वारा स्थापित किया गया था और यह उनकी पारंपरिक संपत्ति है। वे सरकार द्वारा मंदिर के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट के गठन और कॉरिडोर निर्माण को मंदिर की स्वायत्तता में हस्तक्षेप मानते हैं। सेवायतों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अपनी योजना वापस नहीं ली, तो वे ठाकुरजी की मूर्ति को स्थानांतरित कर देंगे और मथुरा छोड़ देंगे। उनका कहना है कि यह कदम मंदिर की परंपरा और धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए आवश्यक है।गोस्वामियों ने स्पष्ट कह दिया है कि यदि सरकार अपनी मंशा के अनुरूप मंदिर और पैसा चाहती है तो वे अपने ठाकुरजी को लेकर परिवार सहित यहां से पलायन कर जाएंगे। हालांकि, अधिकारी अभी भी बातचीत के माध्यम से सहमति बनने का दावा कर रहे हैं।
विवादों में घिरा वृंदावन कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर अब सेवायत अनंत गोस्वामी ने इसका शांतिपूर्ण और सार्थक समाधान प्रस्तुत किया है। बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर उनसे पूछा जाए, तो वह कॉरिडोर निर्माण के पक्ष में नहीं हैं तो मैं ‘ना’ कहूँगा लेकिन भीड़ की समस्या को नकारा नहीं जा सकता।अनंत गोस्वामी जी ने मंदिर में बढ़ती भीड़ और उससे हो रही धक्का-मुक्की, अव्यवस्था पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘भीड़ के कारण श्रद्धालुओं को दर्शन में तकलीफ होती है, यह सही है, लेकिन समाधान गलियों को तोड़ना नहीं है।’
वृंदावन की गलियों की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां की हर संकरी गली, हर मोड़, बचपन की स्मृतियों की तरह प्रिय और पावन हैं। वहां की मिट्टी, वहां की खुशबू, और सतर्कता की अनुभूति यह सब मिलकर एक दिव्य अनुभव देते हैं। यह नगर केवल बांके बिहारी मंदिर नहीं बल्कि ५००० से अधिक मंदिरों का तीर्थ है। हर गली में रास है, हर मोड़ पर लीला है। ‘उन्होंने सरकार से अपील की कि ब्रज की परंपरा और ब्रजवासियों की भावनाएं आहत न हों। गलियों को चौड़ा करना, कॉरिडोर बनाना एक हल नहीं है। यह ब्रज की आत्मा को चोट पहुंचाता है। जब प्राचीन गलियों को तोड़ा जाता है, तो ब्रजवासी आंसू बहाते हैं।’।

