सूतक में कथा और दर्शन पर बवाल: काशी में मोरारी बापू का विरोध, पुतला फूंका

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू का वाराणसी में विरोध शुरू हो गया है। हाल ही में उनकी पत्नी का निधन हुआ था, जिसके चलते काशी के सनातनी जनों ने मोरारी बापू की कथा और मंदिर दर्शन पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि परिवार में किसी सदस्य के निधन के बाद सूतक लग जाता है, इस दौरान पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन और धार्मिक आयोजन वर्जित माने जाते हैं।
इसके बावजूद मोरारी बापू न सिर्फ काशी पहुंचे, बल्कि उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और राम कथा का आयोजन भी शुरू कर दिया। इसी को लेकर गोदौलिया चौराहा समेत शहर के अन्य हिस्सों में उनका विरोध शुरू हो गया। गुस्साए लोगों ने उनका पुतला भी फूंका।
विरोध पर मोरारी बापू ने सफाई दी कि, “हम लोग वैष्णव हैं। भजन-पूजन और प्रभु स्मरण में सूतक बाधा नहीं बनती। सूतक नहीं, सुकून ज़रूरी है। इसमें विवाद नहीं होना चाहिए।”
हालांकि, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मोरारी बापू की आलोचना करते हुए इसे “घोर निंदनीय” बताया। उन्होंने कहा, “सूतक काल में कथा कहना धर्म से ऊपर उठकर अर्थ की कामना को दर्शाता है। यह समाज और सनातन परंपरा के विरुद्ध है।”
मोरारी बापू के विरोध में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के धर्म विज्ञान विभाग के छात्र, घाटों पर पूजा कराने वाले पुरोहित और कई स्थानीय नागरिक अस्सी चौराहे पर एकत्र हुए। उन्होंने पुतला दहन कर बापू के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। स्थानीय लोगों का रोष मुख्य रूप से इस बात को लेकर था कि सूतक काल में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करना धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन है।

