काशी में ढह गई स्वादों और यादों की ईमारत, लंका में विकास के नाम पर दशकों पुरानी फेमस दुकानों पर चला बुलडोजर

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। विकास के नाम पर जिस तरह काशी की सांस्कृतिक धरोहरों को मिटाया गया, उसने न केवल रोजगार छीना बल्कि शहर की आत्मा से जुड़ी पहचान को भी गहरी चोट पहुंचाई है। मंगलवार की रात काशी के लंका इलाके में बुलडोजर ने सिर्फ दीवारें नहीं गिराईं, बल्कि काशी की यादों और स्वादों की इमारत भी ढहा दी। सौ साल पुरानी चाची की कचौड़ी और 75 साल पुरानी पहलवान लस्सी की दुकान जमींदोज हो गई।
सुगम यातायात और सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत लंका रविदास चौराहे के पास स्थित लंका रामलीला मैदान की 35 से अधिक दुकानों पर देर रात बुलडोजर चलाया गया। इन दुकानों में शहर की ऐतिहासिक पहचान बन चुकी 103 साल पुरानी ‘चाची की कचौड़ी’ और 75 साल पुरानी ‘पहलवान लस्सी’ की दुकान भी शामिल थीं।
मंगलवार रात 10:30 बजे जैसे ही पीडब्ल्यूडी का बुलडोजर इन दुकानों की ओर बढ़ा, वहां भारी संख्या में लोग जमा हो गए। कार्रवाई देर रात तक चली। चौराहे से गुजरने वाले हर शख्स की निगाहें ‘चाची की कचौड़ी’ की दुकान पर ठहर गईं, जहां एक युग का अंत होता नजर आया। पुलिस और PAC के जवानों की भारी मौजूदगी में दुकानें एक-एक कर ढहा दी गईं।
सड़क चौड़ीकरण के बदले गईं पीढ़ियों की पूंजी
लहरतारा से विजया मॉल (भेलूपुर) तक 9.512 किमी लंबी फोरलेन सड़क निर्माण के लिए 241.80 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है। इसी परियोजना की जद में लंका चौराहे के पास स्थित ये 30 से अधिक दुकानें आईं। महीनों पहले ही लोक निर्माण विभाग ने मापजोख कर दुकानों पर लाल निशान लगा दिए थे और नोटिस भी जारी किया था।
इनमें अधिकांश दुकानें संकट मोचन मंदिर के महंत परिवार की थीं, जिन्हें किराए पर चलाया जा रहा था। प्रशासन का कहना है कि सभी प्रभावित दुकानदारों को मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन दुकानदारों के सामने अब रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। एक दुकानदार ने कहा, “आज दुकानें किराए पर 20-25 हजार में मिल रही हैं। हम चाहकर भी इस तोड़फोड़ को नहीं रोक सके।”
चाची की कचौड़ी – स्वाद और स्वाभिमान की पहचान
108 साल पुरानी यह दुकान सिर्फ कचौड़ी नहीं, बल्कि वाराणसी की संस्कृति की प्रतीक थी। खास हींग-दाल की डबल लेयर कचौड़ी, सीताफल की सब्जी और मटका जलेबी—सब कुछ दोने-पत्तल में परोसा जाता था। मजेदार बात यह थी कि यहां गाली के साथ कचौड़ी परोसी जाती थी, और यही दुकान की पहचान बन चुकी थी। कहा जाता था कि चाची की गाली में भी स्वाद होता था, जो किस्मत बदल देती थी। फिल्मी सितारे, अफसर, नेता और यूट्यूबर्स सब यहां कतार में खड़े दिखते थे।
पहलवान लस्सी – कुल्हड़ में घुली 75 साल की विरासत
लंका चौराहे से अस्सी की ओर कुछ कदम बढ़ते ही ‘पहलवान लस्सी’ की दुकान थी। कुल्हड़ में मलाई, रबड़ी और दही का अनोखा मिश्रण तैयार होता था, जिसे चखने के लिए सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया से भी लोग आते थे। दुकान में 8 तरह की लस्सी मिलती थी, जिनकी कीमत 30 से 180 रुपये तक थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक इसके स्वाद के मुरीद रहे।
दुकान के मालिक मनोज यादव बुलडोजर आते ही भावुक हो गए और दुकान के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। यह दृश्य हर उस व्यक्ति के लिए पीड़ा देने वाला था, जो इन स्वादों के साथ बड़ा हुआ।

