ईरान-इस्राइल संघर्ष थमा, ट्रंप ने किया युद्धविराम का ऐलान; 12 दिवसीय तनाव का शांतिपूर्ण अंत

नई दिल्ली, जनमुख अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़। बीते 13 जून को इस्राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त हमले किए थे, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक सैन्य टकराव चलता रहा। इस दौरान अमेरिका ने इस्राइल का समर्थन करते हुए ईरान के तीन सैन्य ठिकानों पर भी हमले किए। जवाब में ईरान ने अमेरिका के सैन्य अड्डों को निशाना बनाया, जिससे पश्चिम एशिया में युद्ध के और भड़कने की आशंका बढ़ गई थी।
हालांकि अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर घोषणा की है कि ईरान और इस्राइल युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं। ट्रंप ने लिखा, “लगभग 6 घंटे बाद, जब दोनों देश अपने अंतिम सैन्य मिशन पूरे कर लेंगे, तब युद्ध समाप्त माना जाएगा।” उनके अनुसार, सबसे पहले ईरान युद्धविराम की शुरुआत करेगा, और इसके 12 घंटे बाद इस्राइल भी अपनी सैन्य कार्रवाई रोक देगा। 24 घंटे बाद युद्ध का आधिकारिक अंत घोषित किया जाएगा।
ट्रंप ने इस युद्धविराम को “सहनशीलता, साहस और बुद्धिमत्ता” का प्रतीक बताया और कहा कि यह एक ऐसा संघर्ष था, जो वर्षों तक चल सकता था और पूरे मध्य पूर्व को तबाह कर सकता था, लेकिन अब यह शांति में बदल रहा है। उन्होंने ईश्वर से सभी देशों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की।
इस घोषणा के कुछ ही देर बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची का बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि अगर इस्राइल स्थानीय समय के अनुसार सुबह 4 बजे तक अपने हवाई हमले बंद कर देता है, तो तेहरान भी अपने हमले रोक देगा। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि फिलहाल कोई आधिकारिक युद्धविराम समझौता नहीं हुआ है और अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।
ट्रंप ने यह भी कहा कि ईरान की ओर से किया गया जवाबी हमला काफी “कमजोर और प्रतीकात्मक” था। उनके अनुसार, ईरान ने 14 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 13 को मार गिराया गया और एक मिसाइल को छोड़ दिया गया क्योंकि वह खतरनाक दिशा में नहीं थी। ट्रंप ने दावा किया कि इन हमलों में किसी भी अमेरिकी सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कतर के अमीर को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयासों में उनकी भूमिका सराहनीय रही। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा ईरान के जिन परमाणु ठिकानों पर हमला किया गया, वे पूरी तरह नष्ट कर दिए गए हैं, और इसे झूठ कहने वाले फेक न्यूज फैला रहे हैं।
फिलहाल दुनिया की निगाहें इस युद्धविराम के अमल और स्थायित्व पर टिकी हैं। अगर यह समझौता लागू होता है तो पश्चिम एशिया एक बड़े युद्ध से बच सकता है।

