“संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग पर सियासी घमासान, राहुल गांधी ने आरएसएस-भाजपा पर बोला तीखा हमला”

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग को लेकर देश की राजनीति में घमासान मच गया है। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले की इस मांग पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर संघ और भाजपा पर सीधा हमला बोला।
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में लिखा, “आरएसएस का नकाब फिर उतर गया है। उन्हें संविधान चुभता है क्योंकि यह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। वे बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं।”
राहुल ने चेतावनी दी कि संघ अपने सपने देखना बंद करे क्योंकि देशभक्त भारतीय संविधान की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक खड़े रहेंगे।
इस बीच, भाजपा द्वारा आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जा रहा है। इसी मौके पर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द आपातकाल के दौरान जबरन जोड़े गए थे, जिन्हें हटाया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कांग्रेस से इस बदलाव के लिए माफी मांगने की भी मांग की।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पलटवार करते हुए कहा, “आरएसएस ने कभी संविधान को स्वीकार नहीं किया। उनकी यह मांग बाबा साहब अंबेडकर के न्यायपूर्ण और समावेशी भारत की सोच को खत्म करने की साजिश है। यह संविधान की आत्मा पर हमला है।”
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दत्तात्रेय के बयान को ‘संविधान विरोधी सोच का खुला प्रमाण’ बताया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी एक्स पर नाराजगी जाहिर करते हुए आरएसएस को देश का “सबसे जातिवादी और नफरत फैलाने वाला संगठन” करार दिया।

