कोरोना वैक्सीन नहीं, जीवनशैली और जेनेटिक कारण बन रहे युवाओं में हार्ट अटैक की वजह: ICMR और AIIMS का अध्ययन

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और एम्स द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत में युवाओं की अचानक हो रही मौतों का कारण कोरोना वैक्सीन नहीं है। हाल के वर्षों में 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी देखी गई है, विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न चिकित्सा संस्थानों ने इन मौतों और कोरोना वैक्सीनेशन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया है।
दरअसल, कर्नाटक के हासन जिले में कुछ युवाओं की दिल का दौरा पड़ने से हुई मौतों के बाद राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आशंका जताई थी कि कोरोना वैक्सीन इन घटनाओं के पीछे हो सकती है। उन्होंने दावा किया कि वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और तेजी से वितरण किया गया, जिससे अचानक हो रही मौतों पर संदेह होना स्वाभाविक है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ हो, तो उसे तुरंत जांच करानी चाहिए।
हालांकि, केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री के बयान को खारिज करते हुए कहा है कि कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश की विभिन्न जांच एजेंसियों, जैसे ICMR और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) द्वारा किए गए अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई है कि अचानक हो रही मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है।
मई 2023 से अगस्त 2023 के बीच 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में 18 से 45 वर्ष के लोगों पर अध्ययन किया गया। इसमें उन मामलों की गहराई से जांच की गई, जिनमें अक्तूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक मृत्यु हुई थी। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि वैक्सीन का इन मौतों से कोई लेना-देना नहीं है।
वर्तमान में एम्स भी एक और विस्तृत अध्ययन कर रहा है, जिसे आईसीएमआर फंडिंग दे रहा है। प्रारंभिक निष्कर्षों में यह बात सामने आई है कि कुछ मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन के कारण दिल के दौरे की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह अध्ययन अभी जारी है और अंतिम रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के बाद ही उपलब्ध होगी।
सरकार ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर विश्वास न करें और यह समझें कि कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है। इन अफवाहों से न केवल लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है, बल्कि यह कोरोना वैक्सीनेशन के प्रति विश्वास को भी नुकसान पहुंचा सकता है। मंत्रालय ने दोहराया कि कोरोना वैक्सीन ने महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

