“75 की उम्र में विराम जरूरी: मोहन भागवत की टिप्पणी से फिर उठा सियासी सवाल”

नागपुर, जनमुख न्यूज़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर कहा है कि नेताओं को 75 साल की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से विराम ले लेना चाहिए। नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, “जब कोई आपको 75वें जन्मदिन की बधाई देता है, तो इसका मतलब होता है कि अब रुक जाना चाहिए और दूसरों को जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए।”
यह टिप्पणी मोरोपंत पिंगले की स्मृति में आयोजित एक पुस्तक लोकार्पण समारोह में दी गई। भागवत ने कार्यक्रम में आपातकाल के बाद के राजनीतिक परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि मोरोपंत पिंगले ने उस दौर में विपक्षी एकता के नतीजों की सटीक भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा, “जब चुनाव की बात हुई, पिंगले ने कहा था कि अगर विपक्ष एकजुट हुआ तो 276 सीटें आएंगी, और ऐसा ही हुआ। लेकिन वे अपनी इस भविष्यवाणी का कभी श्रेय नहीं लेते थे और चर्चा से दूर रहते थे।”
भागवत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल सितंबर में 75 वर्ष के होने जा रहे हैं। ऐसे में उनके बयान को राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा कि यह संदेश सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी के लिए है। हालांकि, इससे पहले भागवत ने मोदी को 75 वर्ष की सीमा से छूट देने की बात कही थी।
इस बयान ने एक बार फिर से उम्र और राजनीति के संबंध में बहस छेड़ दी है कि क्या वरिष्ठ नेताओं को खुद रिटायर होकर नई पीढ़ी को आगे आने देना चाहिए।

