सावन के पहले सोमवार पर उमड़ा बाबा विश्वनाथ धाम में श्रद्धा का सैलाब, यादव बंधुओं ने निभाई दशकों पुरानी परंपरा

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। सावन के पहले सोमवार को काशी में आस्था का सागर उमड़ पड़ा। बाबा विश्वनाथ के दर्शनों के लिए विश्वनाथ धाम में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। जैसे ही मंगला आरती संपन्न हुई और काशीपुराधिपति के दरबार के कपाट खुले, श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। पूरा धाम ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठा।
सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच श्रद्धालु रेड कार्पेट से होकर दर्शन-पूजन के लिए आगे बढ़ते रहे। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए धाम तक रेड कार्पेट बिछाया गया, जिससे भक्त सुगमता से बाबा के दरबार तक पहुंच सकें। सुबह से ही लाखों श्रद्धालुओं ने बाबा के आंगन में पहुंचकर जलाभिषेक किया और मत्था टेका।
श्रावण मास के इस पावन दिन की शुरुआत श्रद्धालुओं ने रविवार शाम से ही बैरिकेडिंग में कतारबद्ध होकर की। मंगला आरती के बाद बाबा के दर्शन आम भक्तों के लिए खोल दिए गए। इस अवसर पर बाबा की चल प्रतिमा का विशेष श्रृंगार भी किया गया, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु विशेष रूप से उत्साहित नजर आए।
काशी के मेयर अशोक तिवारी के नेतृत्व में सैकड़ों भक्तों ने परंपरा के अनुसार पैदल चलकर दशाश्वमेध घाट पर स्नान किया। वहां से गंगाजल लेकर ‘हर-हर महादेव’ के नारों के साथ काशी विश्वनाथ धाम पहुंचकर जलाभिषेक किया।
विशेष रूप से इस दिन एक अद्भुत परंपरा का भी निर्वहन हुआ — यादव समुदाय की ओर से जलाभिषेक। चंद्रवंशी गो-सेवा समिति के अध्यक्ष ने जानकारी दी कि यह परंपरा 1932 से चली आ रही है, जब भीषण अकाल के समय एक साधु की सलाह पर काशी के विभिन्न शिवालयों में यादव समुदाय ने जलाभिषेक किया था और अकाल से मुक्ति मिली थी।





तब से लेकर आज तक हर साल सावन के पहले सोमवार को यादव बंधु एकजुट होकर बड़े-बड़े कलशों में जल भरकर बाबा के जलाभिषेक के लिए निकलते हैं। डमरू बजाते, शिव भक्ति में लीन, कुछ विशेष रूपों में सजे ये श्रद्धालु परंपरा को जीवंत बनाए रखते हैं।
पूरे दिन विश्वनाथ धाम ‘हर-हर महादेव’ के जयघोषों से गूंजता रहा और भक्तिभाव का अनुपम दृश्य हर किसी को अभिभूत करता रहा।

