वाराणसी में गंगा-वरुणा का कहर: घाट डूबे, रास्ते बंद, लोग बेघर

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। वाराणसी गंगा और वरुणा नदियों के बढ़ते जलस्तर ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। गंगा का पानी अब दशाश्वमेध प्लाजा पार कर शीतला घाट की ओर फैल चुका है, वहीं मणिकर्णिका घाट पर जलस्तर इतना बढ़ गया है कि सतुआ बाबा आश्रम के दरवाजे तक पानी पहुंच गया है।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मणिकर्णिका घाट पर शवों का अंतिम संस्कार अब छतों पर किया जा रहा है, जहां एक साथ तीन से चार शव जलाए जा रहे हैं।
बाढ़ का पानी अब शहर के रिहायशी इलाकों में भी घुसने लगा है। फुलवरिया, पहलू का पूरा और इमिलिया घाट के मकान जलमग्न हो गए हैं, जिससे लोग घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। प्रभावित परिवारों को जेपी मेहता स्कूल में अस्थायी रूप से ठहराया गया है।
उधर, वरुणा नदी के बढ़ते बैक फ्लो के कारण नक्खी घाट-सारंगतालाब मार्ग पर मंगलवार को करीब तीन फीट पानी भर गया। नक्खी घाट पुल के पास सड़क और गलियों में वरुणा का पानी सीवर और नालियों के जरिए भर गया, जिससे यह मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। अब यहां बाइक, कार, मालवाहक वाहन ही नहीं, पैदल चलने वालों का भी आवागमन असंभव हो गया है।
यह मार्ग पांडेयपुर, पंचक्रोशी, अशोक विहार कॉलोनी, लक्ष्मी माता मंदिर और सारनाथ जैसी बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों को जोड़ता है। यहां के लोगों का कहना है कि हजारों की आबादी अब असहाय स्थिति में पहुंच गई है।
रामनगर के कोदोपुर इलाके में गंगा का पानी घरों के दरवाजों तक पहुंच गया है। यहां लोगों ने संकट के बीच धार्मिक आस्था जताते हुए गंगा का दुग्धाभिषेक शुरू कर दिया है।
चिरईगांव क्षेत्र के ढाब इलाके सहित चांदपुर, छितौना, मुस्तफाबाद, रेतापार और रामपुर जैसे कई गांव बाढ़ से घिरे हैं। संपर्क मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, जिससे ये गांव मुख्य मार्गों से कट गए हैं और ग्रामीण पूरी तरह से संकट में हैं।
प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन बाढ़ के पानी की लगातार बढ़ती रफ्तार से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।

