ढाका ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला: शेख हसीना मानवता विरोधी अपराध में दोषी, अनुपस्थिति में मौत की सजा

नई दिल्ली, जनमुख अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे मानवता विरोधी अपराध के मामले में ढाका स्थित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश (ICT-BD) ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। ट्रिब्यूनल ने हसीना को दोषी पाते हुए कहा कि वे “अधिकतम सजा की हकदार” हैं और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
इसी मामले में उनके पूर्व सहयोगी और देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा दी गई है। दोनों को यह सजा अनुपस्थिति में सुनाई गई। ट्रिब्यूनल ने कहा कि फैसले में बीते साल हुए छात्र विद्रोह के दौरान की गई हिंसा को ध्यान में रखा गया है, जिसमें निहत्थे नागरिकों पर समन्वित हमले किए गए।
इसके अलावा, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को इसी मामले में पांच साल की कैद की सजा मिली है। मामून फिलहाल हिरासत में हैं और उन्होंने मुकदमे के दौरान अपराध स्वीकार कर सरकारी गवाह बनने का निर्णय लिया था। अदालत ने माना कि उनके सहयोग से अभियोजन को दोष सिद्ध करने में “महत्वपूर्ण मदद” मिली।
पूर्व गृह मंत्री कमाल की चल-अचल संपत्तियाँ जब्त करने का आदेश भी दिया गया है। माना जाता है कि वे बांग्लादेश छोड़ने के बाद वर्तमान में भारत में निर्वासन में हैं। अभियोजन पक्ष ने भी कमाल के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा था कि 2024 की हिंसा में वे मुख्य समन्वयक की भूमिका में थे।
वहीं, शेख हसीना फिलहाल भारत में मौजूद हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल की सुनवाई के दौरान सभी आरोपों को “झूठा और बेबुनियाद” बताया था। फैसले से पहले जारी एक ऑडियो संदेश में हसीना ने आरोप लगाया था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का उद्देश्य उनकी आवामी लीग पार्टी को खत्म करना है।
ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद बांग्लादेश में तनाव गहरा गया है। संभावित हिंसा को देखते हुए अंतरिम सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। ढाका पुलिस प्रमुख शेख मोहम्मद सज्जात अली ने पुलिस को निर्देश दिया है कि कोई भी व्यक्ति बसों में आग लगाने या बम फेंकने की कोशिश करे तो आवश्यक बल प्रयोग, जिसमें गोली चलाना भी शामिल है, किया जाए।
संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं और कई टीमें स्टैंडबाय पर रखी गई हैं।

