दिव्यांगों की गरिमा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: SC/ST एक्ट जैसी कठोर सजा वाले कानून पर केंद्र से विचार करने को कहा

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिव्यांग व्यक्तियों और दुर्लभ अनुवांशिक बीमारियों से पीड़ित लोगों की गरिमा की रक्षा के लिए कड़े कानून की जरूरत पर जोर दिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि ऐसा कानून बनाने पर विचार किया जाए, जिसमें दिव्यांगों का मजाक उड़ाना, अपमान करना या आपत्तिजनक टिप्पणी करना उसी तरह दंडनीय हो जैसा कि एससी/एसटी एक्ट में प्रावधान है।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने टिप्पणी की—
“आप एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की तरह कठोर कानून क्यों नहीं बना सकते, जिसमें अपमान करने पर भी सजा का प्रावधान है?”
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि किसी की गरिमा की कीमत पर हास्य स्वीकार्य नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक, अश्लील और अवैध सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक स्वतंत्र और तटस्थ संस्था की आवश्यकता है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बताया कि दिव्यांग व्यक्तियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों और उपहास रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं। कोर्ट ने मंत्रालय से इन्हें सार्वजनिक चर्चा के लिए जारी करने को कहा।
यह मामला अब चार सप्ताह बाद पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगा।

