उडुपी में पीएम मोदी बोले – “लक्ष कंठ गीता परायण से मिली अद्भुत ऊर्जा, यही हमारी एकता और अध्यात्म की शक्ति”

उडपी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एकदिवसीय कर्नाटक दौरे पर उडुपी पहुंचे, जहां जगद्गुरु श्री श्री सुगुनेंद्र तीirth स्वामीजी ने विश्व गीता पर्याय–लक्ष्य कंठ गीता परायण कार्यक्रम में उनका स्वागत किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए उडुपी को जनसंघ और भाजपा के सुशासन मॉडल की महत्वपूर्ण भूमि बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि 1968 में उडुपी के लोगों ने जनसंघ के वी.एस. आचार्य को नगरपालिका परिषद में जिताकर राजनीतिक पथ को दिशा दी थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज देश में दिख रहे स्वच्छता अभियान का बीज उडुपी ने पांच दशक पहले ही बो दिया था।
लक्ष कंठ गीता परायण की भव्यता पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मंत्रों और गीता श्लोकों का पाठ सदियों से हो रहा है, लेकिन जब एक लाख कंठ एक साथ उच्चारण करते हैं तो वह ऊर्जा मन और मस्तिष्क को नई शक्ति प्रदान करती है। यही अध्यात्म और सामाजिक एकता की वास्तविक शक्ति है।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि तीन दिन पहले वे अयोध्या में विवाह पंचमी के मौके पर राम जन्मभूमि मंदिर में धर्म ध्वजा स्थापना के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में उडुपी की भूमिका को पूरा देश याद रखता है।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की नीतियां—‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’—भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों से प्रेरित हैं। श्री कृष्ण के संदेशों से प्रेरणा लेकर ही आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना और नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसे फैसले लिए गए हैं।
मोदी ने आगे कहा कि गीता सिखाती है कि शांति की स्थापना के लिए अत्याचार का अंत आवश्यक है। “हम श्री कृष्ण की करुणा का संदेश भी देते हैं और जरूरत पड़ने पर मिशन सुदर्शन चक्र का उद्घोष भी करते हैं,” उन्होंने कहा। ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत शांति स्थापित करना भी जानता है और उसकी रक्षा करना भी।

