तमिल और काशी के कलाकारों ने किया दर्शकों को भाव विभोर, नमो घाट पर सांस्कृतिक संध्या का हुआ भव्य आयोजन

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तंजावूर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम 4.0 संस्करण के चतुर्थ दिवस नमोघाट स्थित मुक्ताकाशी प्रांगण में सम्पन्न हुआ जिसमे तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। कलाकारों की प्रस्तुति से दर्शक भाव विभोर हो गए।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम प्रस्तुति आरंभ हुई महेंद्र यादव एवं दल, वाराणसी के बिरहा गायन से। बिरहा गायन में सर्वप्रथम देवी पचरा गीत से जिसके बोल थे निबियां के डरिया मैया डालेंनी झूलनवा…. इसी क्रम में दूसरी प्रस्तुति दादरा में हुई जिसके बोल थे धन्य धन्य मयरिया….।आपके साथ हारमोनियम पर धीरज कुमार, कोरस पर पिंटू, सुभाष, रामचन्द्र तथा ढोलक पर बच्चेलाल ने संगत किया। द्वितीय प्रस्तुति रही रविचंद्रन एवं दल, तमिल नायडू द्वारा ओलियट्टम लोक नृत्य की।

तृतीय प्रस्तुति रही सुश्री मांडवी सिंह एवं दल, वाराणसी द्वारा कथक नृत्य की। कथक नृत्य का आरंभ शिव स्तुति से किया। इसके उपरांत पारंपरिक कथक तथा अंत में भाव नृत्य जय जय भवानी दुर्गे महारानी…. से। आपके साथ गायन एवं हारमोनियम पर गौरव मिश्रा, तबला पर भोलानाथ मिश्रा एवं देव नारायण, सारंगी पर ओम सहाय ने साथ दिया।
चतुर्थ प्रस्तुति रही श्रीमती नंदिनी सिंह एवं दल, वाराणसी द्वारा लोक नृत्य कजरी की। कलाकार थे काश्वि सिंह, तानाश्वी मिश्रा, अक्षया प्रजापति, अक्षधा सिंह, श्रुति मंगलम, आराध्या मिश्रा, वर्तिका, अलंकृता। पंचम प्रस्तुति रही रविचंद्रन एवं दल, तमिल नायडू द्वारा थप्पट्टम लोक नृत्य की। कार्यक्रम का संचालन किया सुजीत कुमार चोबे ने।

