“अंडमान-निकोबार स्वतंत्रता सेनानियों की तपोभूमि, सावरकर की प्रतिमा से बढ़ी पवित्रता”- अमित शाह

अंडमान। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की प्रसिद्ध कविता ‘सागरा प्राण तळमळला’ के 115 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अंडमान-निकोबार के श्री विजयपुरम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अंडमान और निकोबार केवल द्वीपों का समूह नहीं, बल्कि यह असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, समर्पण और त्याग से पवित्र बनी ‘तपोभूमि’ है।
अमित शाह ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले अंडमान का नाम सुनते ही लोगों के मन में ‘काला पानी’ की कठोर सजा की छवि उभर आती थी। यहां लाए गए कैदियों को परिवार तक भूल जाता था और लौटने पर वे तन-मन-आत्मा से टूट चुके होते थे। उन्होंने कहा कि आज यह स्थान सभी भारतीयों के लिए तीर्थस्थल बन गया है क्योंकि वीर सावरकर ने अपने जीवन के सबसे कठिन वर्ष यहीं बिताए थे।
गृह मंत्री ने बताया कि सेलुलर जेल के रिकॉर्ड में केवल दो ही प्रांत ऐसे हैं जिनके स्वतंत्रता सेनानियों को यहां फांसी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर की आदमकद प्रतिमा का लोकार्पण RSS प्रमुख मोहन भागवत ने किया है, जो सावरकर की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले संगठन का नेतृत्व करते हैं। इसलिए यह समारोह और भी विशेष हो गया है।
अमित शाह ने आगे कहा कि आज़ाद हिंद फौज के संघर्ष में भी अंडमान-निकोबार का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन द्वीपों को सबसे पहले आज़ाद कराया था और दो दिनों तक यहीं रुके थे। उन्होंने ही इन द्वीपों के नाम ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ रखने का सुझाव दिया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया।
कार्यक्रम के माध्यम से अमित शाह ने सावरकर की स्मृति और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।

