अनिल कुमार जैन, राजेंद्र अग्रवाल (माड़ी वाले), काशिका का संवैधानिक संरक्षण समय की मांग

वाराणसी (जनमुख डेस्क)। पितृपक्ष पर इंदिरा एकादशी के दिन २८ सित. को विश्व भोजपुरी संघ द्वारा मैदागिन स्थित संस्था के सभागार में ‘हमारे पितरों की माई भाषा रही है काशिका भोजपुरी’ विषयक सभा का आयोजन करते हुए सभी पितरों को धूप, नैवेद्य अर्पित कर नमन किया गया। अध्यक्षता करते हुये विश्व भोजपुरी संघ के महासचिव डॉ.अपूर्व नारायण तिवारी ‘बनारसी बाबू’ ने कहा कि हमारे पितरों की आद्य मातृभाषा रही है काशिका, जो कि एक अवैदिक भाषा है और संस्कृत के पहले की है,जो स्वयं काशी में भगवान शिव द्वारा काशीवासियों को दी गयी।संसार की सर्वप्रथम भाषा है। पं.राधिका रंजन त्रिपाठी ने कहा कि आज भी कजरी, तीज, छठ, जिउतिया,होली जैसे तमाम पर्व त्योहार बिना लोकभाषा काशिका और भोजपुरी के संभव नहीं हैं। उपस्थित लोगों में सुशील पांडेय, डॉ.दिनेश सिंह, उमेश श्रीवास्तव, ओ.पी.शर्मा, काशीनाथ तिवारी, राजन कसेरा, मुन्नालाल, विक्रम

