कांग्रेस ने जम्मू और कश्मीर में आरक्षण के खिलाफ रची साजिश

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज । राज्य में पिछड़ों के अधिकारों पर मंडराया खतरा पिछड़े वर्गों को लेकर कांग्रेस पार्टी की दमनकारी नीतियां दशकों से चली आ रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशों को दबाने से लेकर वर्तमान में राहुल गांधी की नीतियों तक, पार्टी ने लगातार पिछड़ों के अधिकारों को हाशिये पर रखा है। इस चुनाव में राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्प्रâेंस (जेकेएनसी) के घोषणापत्र का समर्थन करते हैं। जिसमें जम्मू-कश्मीर में दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ियों के लिए आरक्षण समाप्त करने की बात की गई है। इस घोषणापत्र में यह भी कहा गया है कि सत्ता में आने पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्प्रâेंस, जम्मू और कश्मीर में आरक्षण नीति की समीक्षा करेंगे।सामाजिक न्याय के खिलाफ कांग्रेस का इतिहास पिछड़े वर्गों और दलितों के अधिकारों के प्रति विरोध कांग्रेस का कोई नई बात नहीं है। दशकों से पार्टी ने उन सुधारों को दबाने की कोशिश की है। जो इन समुदायों के लिए जरूरी थे। चाहे नेहरू का डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति विरोध हो या फिर इंदिरा गांधी का मंडल आयोग को नजरअंदाज करना, कांग्रेस ने सामाजिक न्याय के मुद्दों पर हमेशा से दोहरे मापदंड अपनाए हैं।अंबेडकर और आरक्षण के खिलाफ नेहरू का रुख डॉ. भीमराव अंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच दलित अधिकारों और आरक्षण जैसे मुद्दों पर गहरे मतभेद थे। १९५२ और १९५४ के चुनावों में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंबेडकर के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से प्रचार किया था जिससे अंबेडकर को हराने की कोशिश की गई। इसके बावजूद जनसंघ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अंबेडकर को राज्यसभा में भेजने में मदद की। जिसको नेहरू की नीति की कड़ी आलोचना हुई। नेहरू का आरक्षण और सामाजिक न्याय के प्रति नकारात्मक रुख १९५६ में काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को ठुकराने से साफ था। इसके बाद १९६१ में नेहरू ने चिंता जताई कि आरक्षण से कामकाज की उत्पादकता कम होगी। यह उनके पूर्वाग्रह को और उजागर करता है, जो दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के खिलाफ था।मंडल आयोग और इंदिरा गांधी इंदिरा गांधी ने १९८० में मंडल आयोग की सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने की बात कही थी, लेकिन इंदिरा और उनके बेटे राजीव गांधी ने इसे अनदेखा किया। १९९० में, मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का समय आया तो कांग्रेस ने फिर से इसका विरोध किया। राजीव गांधी ने यह तक कहा कि आरक्षण से कामकाजी क्षमता में कमी आएगी जो उनकी पिछड़े वर्गों के प्रति सोच को उजागर करता है।

