संजय तिवारी ने फिल्म के मेकर्स पर लगाया कॉन्सेप्ट कॉपी का आरोप

बॉलीवुड, जनमुख न्यूज । फिल्म ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ अपने रिलीज से पहले सुर्खियों में बनी हुई है और इसके पीछे की वजह कॉन्सेप्ट कॉपी है। जी हां फिल्म कॉन्सेप्ट कॉपी करने के आरोपों से घिरती हुई नजर आ रही है। बता दें कि, प्रोड्यूसर संजय तिवारी जो पिछले २० सालों से मीडिया में एक वाज़ेह ताकत रखते हैं, ने विक्की विद्या का वो वाला वीडियो का ट्रेलर देखकर पाया कि इसका कॉन्सेप्ट उनके पुराने रजिस्टर्ड आइडिया से मिलता है। इस बात ने उनको फिल्म मेकर्स के खिलाफ एक बोल्ड स्टैंड लेने के लिए मजबूर कर दिया।मुंबई में एक प्रेस कॉन्प्रâेंस के दौरान, संजय तिवारी ने राज शांडिल्य के खिलाफ ठोस सबूत रखा। साथ ही उन्होंने इस बात की जानकारी दी की विक्की विद्या का वो वाला वीडियो उनके २०१५ में रजिस्टर्ड कॉन्सेप्ट की कॉपी है। इसपर एक्शन लेते हुए २१ सितंबर २०२४ को, तिवारी के वकील, शशांक, ने शांडिल्य, बालाजी टेलीफिल्म्स, और टी-सीरीज़ को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें ओरिजनल आइडियाज को सुरक्षित रखने की ज़रूरत पर जोर दिया गया है, एक ऐसी इंडस्ट्री में जहां अक्सर आइडिया कॉपी होते हैं।इसपर बात करते हुए समय तिवारी ने कहा है।२७ सितंबर को हमें नाइक नाइक एंड कंपनी से एक नोटिस मिला, जो टी-सीरीज़ की तरफ से भेजा गया था, जिसमें उन्होंने क्लेम किया है कि उन्होंने अपने कॉन्सेप्ट को २७ अक्टूबर २०१५ को रजिस्टर किया था। लेकिन हमारा कॉन्सेप्ट २८ अगस्त २०१५ को रजिस्टर हुआ था, जो उनके से दो महीने पहले का है।’ उन्होंने मीडिया को दस्तावेज दिखाए जिनसे साफ तौर से साबित हो गया है कि उनका कॉन्सेप्ट पहले ही रजिस्टर हो चुका था, जिससे उनका दावा और भी ज्यादा मजबूत हो गया है।संजय तिवारी ने जोर देकर आगे कहा, ‘मेरी चिंता सिर्फ मेरे कॉन्सेप्ट के बारे में नहीं है; यह उन सभी क्रिएटर्स के बारे में है जो बड़ी प्रोडक्शन कंपनियों द्वारा कंट्रोल किए जाने वाली इंडस्ट्री में अपनी बात कहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘एक आइडिया किसी भी फिल्म की बुनियाद होती है। जबकी कहानियाँ बदल सकती हैं, लेकिन कोर कॉन्सेप्ट का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने हमारा आइडिया लिया और उससे एक ‘ताजमहल’ बना दिया, जो बस गलत है।संजय तिवारी ने स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन, जिसके ६५,००० मेंबर्स हैं, की भी उनकी धीमी कार्यप्रणाली के लिए आलोचना की। उन्होंने अपनी बात को रखते हुए कहा, ‘हम डिजिटल युग में रह रहे हैं, और ऐसी ऑर्गेनाइजेशन की धीरे-धीरे चलने की आदत असली क्रिएटर्स की मदद नहीं करती। राइटर्स अक्सर अपने आइडियाज चुराने के बाद कम पेमेंट लेने पर मजबूर होते हैं, और टी-सीरीज़ और बालाजी जैसी बड़ी कंपनियों से बदला लेने का डर उन्हें बोलने से रोकता है।समय तिवारी ने दूसरे राइटर्स से एक्शन लेने की अपील की, चाहे वो शिकायतें दर्ज करने के जरिए हो, या एक दूसरे का साथ देने के लिए कानूनी लड़ाई में शामिल हो। उन्होंने कहा, ‘इन मुद्दों को मीडिया कवरेज के जरिए सामने लाना काफी मायने रख सकता है और इससे मायने रखने वाले बदलाव हो सकते हैं।वह आगे कहते हैं ।अपनी लड़ाई को पब्लिक करके, मैं उम्मीद करता हूं कि दूसरे राइटर्स अपने हक के लिए खड़े होने के लिए इंस्पायर हो, और ऐसा कल्चर बनाएं जहां ओरिजिनिलिटी की कदर की जाए और उसकी रक्षा की जाए।

