अमेरिका को भी ईवीएम पर नहीं है भरोसा

नई दिल्ली,जनमुख न्यूज। अब से कुछ दिन बाद दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश और सबसे ताकतवर माना जाने वाला देश अमेरिका अपना राष्ट्रपति चुनेगा। इस बार सीधी लड़ाई डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच है। ट्रंप पिछला चुनाव हारे थे, लेकिन अभी जीतना चाहते हैं। कमला हैरिस अपनी पार्टी के नेता जो बाइडेन की पॉलिसी को आगे बढ़ाना चाहती हैं। दुनिया का सबसे ताकवक मुल्क अमेरिका और उस पर राज करने वाला व्यक्ति सबसे ताकवर माना जाता है। ऐसे में अमेरिका का राष्ट्रपति कौन बनता है, दुनिया की इस पर नजर रहती है। वहां अभी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने वाली है और ५ नवंबर को अपने नेता के लिए वोट किया जाएगा। भारत की तरह ही अमेरिका भी एक लोकतांत्रिक देश है और वोटिंग काफी अहम हो जाती है। लेकिन भारत से इतर वहां की प्रक्रिया थोड़ी कठिन और अलग होती है। अमेरिका में दो पार्टी सिस्टम है। पहला रिपब्लिकन और दूसरा डेमोक्रेट है। दोनों पार्टियों को अपनी अपनी तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना होता है। अमेरिकी संविधान के आर्टिकल २ के सेक्शन १ में वहां के राष्ट्रपति चुनाव की जानकारी विस्तृत रूप से दी गई है। इसमें तीन बातों का ध्यान दिया गया है। अगर कोई व्यक्ति चुनाव अमेरिका का राष्ट्रपति बनना चाहता है तो उसे ये तीन शर्तें पूरी करनी ही होगी।

