होम लोन की ईएमआई हो सकती है कम,आरबीआई का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिनों तक चली बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर ६.५ पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह फैसला एमपीसी के सदस्यों ने ४:२ के बहुमत से लिया है। रेपो में फरवरी २०२३ से कोई बदलाव नहीं किया गया है। आरबीआई गवर्नर के अनुसार केंद्रीय बैंक की पॉलिसी का लोगों के जीवन पर असर पड़ता है। आरबीआई का पहला काम महंगाई को कंट्रोल करना है।आज भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक से देशवासियों को बड़ी उम्मीदें हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई अपनी रेपो रेट में कटौती कर सकता है, जिससे लोन लेने वालों को राहत मिल सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जीडीपी रेपो रेट को स्थिर बनाए रख सकता है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में यह बैठक हो रही है, और उन्होंने कहा कि थोड़ी देर में रिजर्व बैंक के फैसले का ऐलान किया जाएगा। वर्तमान में रेपो रेट ६.५० फीसदी पर स्थिर है। यदि इसमें कटौती होती है, तो इसका सीधा असर होम लोन की पर पड़ेगा, जो कम हो सकती है।क्यों हो सकती है कटौती देश की जीडीपी के ताजे आंकड़ों में कमजोर वृद्धि दिखाई दी है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर दूसरी तिमाही में ५.४ फीसदी रही, जबकि बाजार की उम्मीदें इससे ज्यादा की थीं। इसके अलावा, महंगाई दर भी आरबीआई के अनुमानित स्तर से ऊपर बनी हुई है। रुपये की गिरावट और आयात लागत में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति में भी इजाफा हुआ है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए।,आरबीआई इन आर्थिक संकेतकों को संतुलित करने के लिए रेपो रेट में कटौती का फैसला ले सकता है। यह आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल का आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी फैसला हो सकता है। क्योंकि उनका कार्यकाल १० दिसंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। इस बैठक में लिए गए फैसलों का असर न सिर्फ अर्थव्यवस्था पर बल्कि आम लोगों की वित्तीय स्थिति पर भी होगा।

