आर्थिक सुधारों के नायक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री को देर शाम तबीयत बिगड़ने पर एम्स के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया है। मनमोहन सिंह के अस्पताल पहुंचने के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का एम्स में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी सबसे पहले एम्स पहुंचने वालों में शामिल हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाजुर्गन खरगे और राहुल गाँधी कर्नाटक के बेलगावी से दिल्ली के लिए लौट रहे हैं। कुछ देर में सोनिया गांधी के भी पहुंचने की खबर है। डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी एम्स में मौजूद हैं। इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने कल के अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
नेहरू के बाद लगातार दो बार प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति
मनमोहन सिंह देश के 13 वें प्रधानमन्त्री थे। साथ ही साथ वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद वे जवाहर लाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बने, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था। इन्हें पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है।
पूर्व पीएम का जीवन परिचय
मनमोहन सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब में 26 सितम्बर, 1932 को हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। देश के विभाजन के बाद सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है। डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ॰ सिंह भारत के भारत के वाणिज्य एवं उद्योग में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। भारत के आर्थिक इतिहास में हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉ॰ सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मन्त्री रहे। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना गया है। आम जनमानस में ये साल निश्चित रूप से डॉ॰ सिंह के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। डॉ॰ सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती गुरुशरण कौर और तीन बेटियाँ हैं।

