18 साल बाद उद्धव-राज की सियासी जुगलबंदी: ‘आवाज मराठीचा’ रैली में हिंदी थोपे जाने पर गरजे, भाजपा पर साधा निशाना

मुंबई, जनमुख न्यूज़। महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब दो चचेरे भाई—शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे—लगभग 18 वर्षों बाद मुंबई में एक मंच पर साथ आए। ‘आवाज मराठीचा’ नामक संयुक्त रैली में दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता और भाषा के संरक्षण को लेकर एकता दिखाई और केंद्र सरकार की हिंदी थोपने की नीतियों पर तीखा हमला बोला।
रैली में उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम भाषण से ज़्यादा अपने साथ आने का संदेश देना चाहते हैं। मराठी की रक्षा के लिए हम फिर एक हुए हैं। जब से इस कार्यक्रम की घोषणा हुई, लोग हमारे भाषण का इंतजार कर रहे थे, लेकिन मेरा मानना है कि मंच पर हमारा साथ आना ही सबसे बड़ा संदेश है।”
भाजपा पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “हमें हिंदुत्व सिखाने की जरूरत नहीं है। हम हिंदू हैं, और हमारी जड़ें सबसे गहरी हैं। हिंदू और हिंदुस्तान हमें मंजूर हैं, लेकिन हिंदी थोपना हमें कतई मंजूर नहीं। आपकी सात पुश्तें बर्बाद हो जाएं, पर हम यह नहीं होने देंगे।”
राज ठाकरे ने अपने भाषण में मराठी भाषा और पहचान को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा, “हमें हिंदी से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन इसे जबरन थोपना स्वीकार नहीं। हमने कभी अपने राज में मराठी दूसरों पर नहीं थोपी। अब अगर इसका विरोध नहीं किया गया, तो मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश की जाएगी।”
उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, “बालासाहेब ठाकरे भी हमें एक मंच पर नहीं ला सके, लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने वह काम कर दिखाया।”
इस ऐतिहासिक मंच साझा करने की घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ दे दिया है। साथ ही यह राज्य में मराठी भाषा और सांस्कृतिक अस्मिता को लेकर एकजुट विपक्ष की शुरुआत के संकेत भी दे रही है।

