संसद में हंगामे के बीच ‘जी-राम-जी’ विधेयक पर शिवराज का पलटवार, बोले– जवाब न सुनना लोकतंत्र की हत्या

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। संसद में विपक्षी दलों के शोर-शराबे के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित भारत जी-राम-जी विधेयक पर सरकार का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार का जवाब सुनना ही नहीं चाहता, जो लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। शिवराज ने आरोप लगाया कि अपनी बात कहकर सदन छोड़ देना और जवाब न सुनना संविधान और लोकतंत्र दोनों का अपमान है।
कृषि मंत्री ने कहा कि उन्होंने देर रात डेढ़ बजे तक सांसदों की बातें सुनीं और जवाब देना उनका अधिकार है। उन्होंने कहा, “अपनी बात सुना देना और दूसरे की न सुनना भी हिंसा है। यह बापू के आदर्शों की हत्या है।” शिवराज ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह गांधीवादी मूल्यों की दुहाई देता है, लेकिन आचरण में उन्हें भूल जाता है।
शिवराज सिंह चौहान ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि गांधीजी भाजपा के आदर्श हैं और पार्टी की पंचनिष्ठाओं में उनके सामाजिक-आर्थिक दर्शन को स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने गांवों को भारत की आत्मा बताया था और यह विधेयक ग्रामीण विकास को मजबूत करने के उद्देश्य से लाया गया है।
उन्होंने सरकार के आंकड़े पेश करते हुए दावा किया कि पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान फंड का दुरुपयोग हुआ, जबकि मौजूदा सरकार ने विकास, किसानों और गरीबों के कल्याण पर खर्च को प्राथमिकता दी है। शिवराज ने कहा कि यह विधेयक पूरे देश के लिए है और सरकार किसी राज्य या क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं करती। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी का उद्धरण देते हुए कहा कि देश केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक जीवंत राष्ट्र है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मौजूदा सरकार पर किसी तरह की सनक सवार नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने वर्षों तक सरकारी योजनाओं और संस्थानों का नामकरण केवल नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर किया। शिवराज ने दावा किया कि राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के नाम पर दर्जनों योजनाएं, संस्थान, सड़कें और पुरस्कार रखे गए, जो कांग्रेस की ‘खानदान राजनीति’ को दर्शाता है।

