काशी में मोरारी बापू की कथा में पहुंचे बाबा रामदेव, कहा – ‘यह सनातन है, तनातन नहीं’

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। काशी में चल रही मोरारी बापू की रामकथा के अंतिम दिन योगगुरु बाबा रामदेव भी शामिल हुए। वे मंच पर बापू के चरणों में बैठे और उनका आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “मैं यहां किसी की आलोचना का जवाब देने नहीं आया हूं, न ही मेरे पास इतना समय है।”
बाबा रामदेव ने मोरारी बापू को राष्ट्र और संस्कृति की धरोहर बताते हुए कहा, “जब कोई विधर्मी मुसलमान, ईसाई या कम्युनिस्ट आलोचना करे तो समझ आता है, लेकिन जो खुद को सनातनी कहते हैं, वही विरोध करें – यह उचित नहीं। यह सनातन संस्कृति है, तनातनी नहीं।”
कथा के समापन अवसर पर मोरारी बापू ने एक बार फिर महापुरुषों से क्षमा याचना की और कहा कि अगली बार वह ‘काशी कबीर मानस’ की कथा कहने आएंगे। उन्होंने भावुक होकर कहा, “इन नौ दिनों में हमने बहुत कुछ कहा, पर अब लग रहा है कि बहुत कुछ कहना रह गया।”
उल्लेखनीय है कि मोरारी बापू की पत्नी का 12 जून को निधन हुआ था, जिसके दो दिन बाद वे बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी पहुंचे। दर्शन और जलाभिषेक के बाद बापू का कुछ समूहों ने विरोध किया। कथा के पहले दिन ही उनके पुतले फूंके गए।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने भी मोरारी बापू की आलोचना करते हुए सूतक में पूजा और कथा के उनके कृत्य को धर्म विरोधी बताया है।
व्यासपीठ से मोरारी बापू ने कहा, “मेरे पास भी शास्त्र हैं, दिखा सकता हूं। लेकिन मेरा संदेश केवल प्रेम का है।”
उन्होंने यह भी कहा, “योग ज़रूरी है, लेकिन उससे भी ज़रूरी है परमात्मा के प्रति प्रेम और आपसी प्रेम। यदि प्रेम नहीं है तो योग, ज्ञान, वैराग्य सब व्यर्थ हैं। हिंदू सनातन धर्म सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि यह सभी को स्वीकार करता है और सम्मान देता है। यह धर्म आकाश की तरह व्यापक है।”


