गुणवत्ता परक शोध को बढ़ावा देने के लिए बीएचयू और आईआईटी ने समझौता ज्ञापन पर किये हस्ताक्षर

वाराणसी,जनमुख न्यूज। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सहयोगात्मक अनुसंधान प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गुरुवार को, दोनों संस्थानों ने प्रयोगशाला और पुस्तकालय सुविधाओं के आदान-प्रदान और संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए तीन समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच एमओयू हस्ताक्षर को पारस्परिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण अवसर बताया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इस बात को महसूस किया जाता है कि शैक्षणिक संस्थानों को उत्कृष्टता हासिल करने के लिए मिल कर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि अकेले काम करने से प्रगति में रुकावटें आती हैं, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों को विकास के अवसरों का भरपूर लाभ उठाने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाकर आगे बढ़ना चाहिए। अनुसंधान व नवोन्मेष पर अपने भाषण में कुलपति जी ने विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी तथा शिक्षा के उद्देश्य पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि प्रामाणिकता व ख्याति के लिए अनुसंधान पेशेवर उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, परंतु सामाजिक प्रभाव व परिवर्तन के लिए उसकी महत्ता पर गौर करना अत्यंत आवश्यक है। कुलपति जी ने जोर देकर कहा कि विश्वविद्यालयों को एक सकारात्मक कार्य वातावरण तथा प्रशासन व्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा को शिक्षार्थियों में उद्देश्य पैदा करने के साथ साथ उन्हें प्रोत्साहित भी करना होगा, ताकि वे सही दिशा में ऊर्जा का प्रयोग करते हुए आगे बढ़ें। ये संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक संसाधन व क्षमताएं उपलब्ध कराएं। उन्होंने दीर्घकाल में सफलता हेतु इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के साथ कुछ अहम टिप्स भी साझा किये, जैसे सकारात्मक सोच, ईमानदारी, टीम भावना, समय का प्रभावी प्रबंधन, तथा जीवन कौशल विकसित करना।संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करने की अहमियत पर जोर देते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ;बीएचयद्धू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि अकेले काम करने के मुकाबले साथ मिलकर काम करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि आज जिन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए हैं, वे साझा विरासत वाले इन दोनों संस्थानों के बीच प्रभावी सहयोग की बुनियाद हैं। प्रो. पात्रा ने बीएचयू तथा आईआईटी-बीएचयू के सदस्यों का आह्वान किया कि वे इस अवसर का भरपूर लाभ उठाएं, तथा अपनी उन्नति के साथ साथ दोनों संस्थानों तथा देश की प्रगति की दिशा में सहयोगात्मक रूप से कार्य करें। समझौता ज्ञापन पर बीएचयू के कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह और आईआईटी (बीएचयू) के कुलसचिव श्री राजन श्रीवास्तव द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुधीर जैन, आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा समेत बड़ी संख्या में दोनों संस्थानों के विद्यार्थी, संकाय सदस्य, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।एमओयू की जानकारी देते हुए कुलसचिवद्वय ने बताया कि प्रयोगशाला सुविधाओं और प्रमुख अनुसंधान उपकरणों के लिए समझौता ज्ञापन विश्वविद्यालय और संस्थान के संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं, और छात्रों को अत्याधुनिक सुविधाओं तक पहुंच देगा जो उनके मूल संस्थानों में उपलब्ध नहीं हैं। बीएचयू में विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, और कृषि विज्ञान में उन्नत प्रयोगशालाएँ हैं, जबकि आईआईटी (बीएचयू) में प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, और विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाएं हैं।इसके अलावा, दोनों संस्थानों ने अपने पुस्तकालय संसाधनों को साझा करने पर भी सहमति जताई है। इस समझौते से बीएचयू के संकाय और शोधकर्ताओं को आईआईटी (बीएचयू) के श्रीनिवास देशपांडे पुस्तकालय की प्रिंट और डिजिटल संसाधनों तक पहुँच मिलेगी। इसी तरह, आईआईटी (बीएचयू) के सदस्य बीएचयू के सयाजीराव गायकवाड़ पुस्तकालय की व्यापक संसाधनों का लाभ उठा सकेंगे। यह सहयोग शिक्षण, सीखने और शोध को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसमें नए पुस्तकालय प्रौद्योगिकी में कर्मचारियों के प्रशिक्षण के प्रावधान भी शामिल हैं।तीसरे एमओयू के तहत, दोनों संस्थानों ने आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। एमओयू का उद्देश्य विभिन्न एजेंसियों से धन प्राप्त करने के लिए संयुक्त परियोजना प्रस्तावों को बढ़ावा देना है। यह संकाय सदस्यों को भागीदार संस्थान में पीएचडी छात्रों के सह-मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने की भी सुविधा देता है। इसके अलावा, यह एमओयू पीएचडी छात्रों के लिए नई शोध संभावनाएं खोलता है, जिससे उन्हें भागीदार संस्थान में अल्पकालिक शोध (६ महीने तक) करने का अवसर मिलता है। सहयोग के क्षेत्र विज्ञान, इंजीनियरिंग, कला, चिकित्सा, कृषि, मानविकी, और अंत विषय क्षेत्रों सहित सभी शाखाओं को शामिल करते हैं।

