२०५० तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी होंगे हिन्दू, और भारत में होंगे दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज। भारत में लगातार हिंदुओं की आबादी आने वाले वर्षोे में घटने और अल्पसंख्यक हो जाने के दावे किए जाते रहे हैं। इसे लेकर तमाम कट्टर हिंदुवादी संगठन जनसंख्या बढ़ाने पर जोर भी देते हैं। और कहते हैं कि वर्तमान जनसंख्या में गिरावट आ रही है, जो चिंता का विषय है।
इस पृष्ठभूमि में यदि भारतीय आबादी की बात की जाए तो हिंदुओं में जन्मदर प्रति महिला औसतन २.५ शिशु हैं. ईसाईयों में २.३ और मुस्लिमों में ३.२ है. आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त भारत में तकरीबन ९६ करोड़ हिंदू और १७ करोड़ मुस्लिम हैं। यानी भारत की कुल आबादी में ७९.८ प्रतिशत हिंदू और १४.२ फीसदी मुस्लिम हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की एक स्टडी के मुताबिक २०५० तक हिंदू दुनिया की तीसरी बड़ी आबादी बन जाएंगे। हिंदू आबादी बढ़कर उस वक्त तक भारत में बढ़कर एक अरब तीन करोड़ हो जाएगी। हर चार में से तीन लोग हिंदू ही होंगे। २०५० तक हिंदुओं की पूरी दुनिया की आबादी में कुल हिस्सेदारी १४.९ प्रतिशत होगी। इसके बाद चौथे स्थान पर १३.२ प्रतिशत के साथ ऐसे लोग होंगे जो किसी भी धर्म से संबद्ध नहीं हैं। उस अवधि तक पूरी दुनिया में हिंदुओं की आबादी में ३४ प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान व्यक्त किया गया है।
मुस्लिमों में उच्च प्रजनन दर के कारण उस अवधि तक इंडोनेशिया को पछाड़कर भारत सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश हो जाएगा। भारत में मुस्लिम आबादी ३१ करोड़ होगी जो पूरी दुनिया के मुस्लिमों का ११ फीसद होगा। सबसे बड़े मुस्लिम देशों इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया के कुल मुस्लिमों से भी ज्यादा भारत में हिंदुओं की आबादी होगी। भारत में ईसाई आबादी अभी कुल जनसंख्या का २.५ प्रतिशत है। इसके २०५० तक घटकर २.३ प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस वक्त आबादी के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा ईसाई धर्म को मानने वाले लोग हैं। दूसरे नंबर पर इस्लाम धर्म का नाम है। मुस्लिमों में उच्च प्रजनन दर के कारण प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लाम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह है। यदि यही जनसंख्या रुझान रहे तो इस सदी के अंत तक मुस्लिम आबादी, ईसाईयों की संख्या से अधिक हो जाएगी।

