वक्फ संशोधन कानून 2025 पर केंद्र सरकार का बचाव: सुप्रीम कोर्ट में कहा– कानून वैध, धार्मिक स्वायत्तता से समझौता नहीं

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की अपील की। सरकार ने कहा कि इस कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती क्योंकि यह संवैधानिक रूप से वैध है और इसे संसद की विधायी शक्ति के तहत पारित किया गया है।
1,332 पन्नों के अपने प्रारंभिक जवाबी हलफनामे में केंद्र ने बताया कि वक्फ संपत्तियों में 2013 के बाद से 20 लाख हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जो अपने आप में चौंकाने वाला आंकड़ा है। सरकार ने दावा किया कि पूर्व में वक्फ कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग कर निजी और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण किया गया।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी. शेख मोहिद्दीन की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि मुगल काल, ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता के बाद के दौर में कुल 18.29 लाख एकड़ भूमि वक्फ घोषित की गई थी। इसमें यह भी जोड़ा गया कि अदालतें किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगा सकतीं जब तक कि उसकी संवैधानिकता पर अंतिम फैसला न आ जाए।
सरकार ने यह भी कहा कि अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं इस झूठे आधार पर दाखिल की गईं हैं कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं। हलफनामे में जोर दिया गया कि संसदीय समिति, जिसमें विभिन्न प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल थे, ने गहराई से विचार-विमर्श के बाद ही संशोधन की सिफारिश की।
अंत में, सरकार ने कहा कि यह कानून पूरी तरह वैध है और धार्मिक संस्थाओं के संचालन में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है, जिससे समाज और आस्थावानों का विश्वास कायम रहे। संसद की विधायी शक्ति से पारित इस अधिनियम को बदलना या उस पर रोक लगाना न्यायिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है।

