उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन, देश भर में धूम

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में नदियों, तालाबों और कृत्रिम घाटों पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आज महापर्व छठ का समापन हो गया। बुधवार की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद से श्रद्धालु और व्रती महिलाएं घाटों पर जमा थीं।

कांचे ही बांसा के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…जैसे छठ गीतों की गूंज के बीच श्रद्धालु छठ घाटों पर जुटे रहे। देश की राजधानी की बात करें तो राजधानी में विभिन्न स्थानों पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालुओं ने पूरी रात घाटों पर डेरा डाला रहा। इस दौरान घाटों को दीयों और रोशनी से सजाया गया।
बिहार में छठ की अलग रौनक
बिहार के लगभग सभी जिलों छठ की अलग रौनक नज़र आ रही है। नदियों, तालाबों पर बने घाटों पर रात से ही लाखों श्रद्धालु और व्रती जमा थे। सुबह व्रतियों ने छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य यानी उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का अपने निर्जला उपवास का पारण किया। जिसके बाद सभी के बीच ठेकुआ प्रसाद का वितरण किया गया।
तमिलनाडु में भी मना छठ उत्सव
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया। चेन्नई के मरीना बीच पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पूरे भक्तिभाव के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सबके कल्याण की कामना की।
बंगाल और ओडिशा में भी धूम
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी गंगा नदी के किनारे श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा. कोलकाता में हुगली नदी के किनारे सुबह अंधेरे में ही पहुंचे श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया। उधर ओडिशा की राजधानी भुबनेश्वर में भी आज सुबह श्रद्धालुओं ने पूरी उत्साह के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। कुआखई नदी के किनारे बने घाट पर श्रद्धालुओं ने अपनी वेदी बनाई और विधि विधान के साथ पूजा संपन्न की।

क्या है पौराणिक मान्यता
उदीयमान सूर्य देने के पीछे पौराणिक मान्यताएं हैं। मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत ने भी छठ व्रत रखा था। उन्हें कुष्ट रोग हो गया था।इस रोग से मुक्ति के लिए भगवान भास्कर ने भी छठ व्रत किया था।

