धीरेंद्र शास्त्री बोले—‘हम न थके हैं, न रुकेंगे’; सनातन एकता पर 5 संकल्प, कहा– जल्द शुरू होगी पदयात्रा 3.0

मथुरा, जनमुख न्यूज़। बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने रविवार को छटीकरा स्थित चारधाम मंदिर के पास आयोजित धर्मसभा में कहा कि उनकी पदयात्रा केवल शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि सनातन हिंदुओं को एक सूत्र में जोड़ने का अभियान है। उन्होंने कहा—“हम न थके हैं, न थकेंगे; न रुके हैं, न रुकेंगे। विचार यात्रा लगातार जारी रहेगी।” शास्त्री ने घोषणा की कि पदयात्रा 3.0 भी शुरू की जाएगी, जिसका समय हालात को देखते हुए तय किया जाएगा और वह उन क्षेत्रों में जाएगी जहां धर्मांतरण अधिक हो रहा है।
धर्मसभा में बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को उन्होंने पांच संकल्प दिलाए—
तीर्थों पर प्रतिबंध: देशभर के तीर्थ स्थलों के आस-पास मांस-मदिरा की दुकानों को न चलने देने का संकल्प।
जुड़ो और जोड़ो: हर व्यक्ति पांच परिवारों को कट्टर सनातनी बनाने के लिए प्रेरित करे।
भगवा अभियान: घरों पर धर्मध्वज लगाने और दूसरों को प्रेरित करने का संकल्प।
साधु-संतों का साथ: किसी भी संकट में गांव-गांव के ‘मंडल’ आगे आएं और हर माह सनातन एकता यात्रा निकालें।
घर वापसी अभियान: किसी कारणवश दूसरे धर्म अपनाने वाले लोगों को वापस लाने का प्रयास।
शास्त्री ने कहा कि पदयात्रा की शुरुआत से ही कई तरह के विरोध सामने आए। उन्होंने दावा किया कि धमकियां मिलीं और दिल्ली में बस विस्फोट की घटना भी हुई, लेकिन यात्रा लगातार आगे बढ़ती रही। उन्होंने कहा कि “सनातनी हिंदुओं की यही प्रतिबद्धता इस यात्रा की असली शक्ति है।”उन्होंने 1966 में स्वामी करपात्री जी के गो संरक्षण आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इतिहास खुद को दोहराता है। शास्त्री ने बताया कि 5 नवंबर 2025 को दिल्ली के कात्यायनी मंदिर से शुरू हुई यात्रा ‘माया से माधव’ की ओर बढ़ने का प्रतीक है। उन्होंने इसे गुरु तेग बहादुर सहित देश के किसानों और जवानों को समर्पित बताया।
शास्त्री ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा “शोभायात्रा” नहीं, बल्कि गांव-गांव पहुंचने वाला अभियान है। उन्होंने कहा कि अब देशभर में संतों के सानिध्य में मंडल बनाए जाएंगे, जीर्ण-शीर्ण मंदिरों का पुनर्निर्माण होगा और सभाओं के जरिए लोगों में सनातन एकता की जागरूकता फैलाई जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी धर्म के विरोधी नहीं हैं, लेकिन सनातनी परिवारों को अपने बच्चों को संस्कार देने चाहिए। दिल्ली धमाके को संकेत करते हुए उन्होंने कट्टरपंथ को लेकर चिंता जताई और कहा कि “हम तिरंगे पर चांद नहीं, बल्कि चांद पर तिरंगा देखना चाहते हैं।”

