वाराणसी में बाढ़ का प्रकोप: गंगा का जलस्तर खतरे के पार, 20 राहत शिविरों में 2877 लोग शरण लिए, कई इलाके जलमग्न

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण नगवां, नक्खी घाट, सराय मोहाना, सरैयां, अस्सी घाट समेत कई इलाके गंभीर रूप से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। नगवां नाले के जरिये बाढ़ का पानी रामेश्वर मठ, भागवत महाविद्यालय से होते हुए संगम पुरी कॉलोनी तक पहुंच गया है। संकट मोचन मंदिर के पीछे तक जलभराव होने से रास्ते बंद हो गए हैं।
नक्खी घाट क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित बताया जा रहा है, जहां लगभग 150 लोग अभी भी फंसे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने नावों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। जलकल विभाग के सचिव राम औतार ने बताया कि गंगा में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है और नाले बैक फ्लो कर रहे हैं, जिससे सीवर की दिशा उलट गई है। गोदौलिया, घोड़ा नाला और रोपवे परियोजना समेत कई निर्माण कार्य अस्थायी रूप से रोक दिए गए हैं।
एनडीआरएफ ने रामेश्वर मठ के पीछे एक होटल संचालक और उनके परिवार को रेस्क्यू कर बाहर निकाला। नगवां सोनकर बस्ती और हरिजन बस्ती के 70 परिवारों को गोपी राधा विद्यालय में और नगवां गंगोत्री विहार कॉलोनी के 12 परिवारों को प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट किया गया है।
मालवीय ब्रिज (राजघाट पुल) पर खतरे का स्तर पार हो चुका है। यहां गंगा के जलस्तर को शीट पैमाने पर मापा जाता है, जो अब 237 शीट तक पहुंच चुका है (चेतावनी बिंदु 234 शीट)। इससे प्रभावित होकर रेल ट्रैफिक कॉशन पर चल रहा है — ट्रेनें सिर्फ 10 किमी/घंटा की रफ्तार से चलाई जा रही हैं। यदि शीट स्तर 240 तक पहुंचा, तो एक बार में केवल एक ट्रेन ही पुल पार कर सकेगी।
मंडलायुक्त एस. राजलिंगम ने रविदास पार्क से ललिता घाट तक नाव से निरीक्षण कर हालात का जायजा लिया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोई भी व्यक्ति बाढ़ के पानी में फंसा न रहे। डीएम सत्येंद्र कुमार ने राहत शिविरों का दौरा कर महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों की तैनाती के आदेश दिए।
फिलहाल जिले में 20 बाढ़ राहत शिविर चालू हैं, जहां 2877 लोग (605 परिवार) शरण लिए हुए हैं। अन्य 577 परिवार विभिन्न सुरक्षित जगहों पर अस्थायी रूप से रह रहे हैं।
प्रशासन की ओर से लंच पैकेट, फल, दूध सहित आवश्यक सामग्री नियमित रूप से वितरित की जा रही है। पशुपालन विभाग ने 46 पशु चिकित्सा चौकियां बनाई हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी के चलते एक डॉक्टर को दो-तीन केंद्रों की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आर.एस. राजपूत के अनुसार जिले में फिलहाल सिर्फ 16 चिकित्सक कार्यरत हैं।
बाढ़ से बचाव और राहत कार्य जारी हैं, लेकिन हालात पूरी तरह सामान्य होने में अभी वक्त लग सकता है।

