हर सितंबर में गुरु और शिष्य परंपरा की नजीर बनती है गोरक्षपीठ

उत्त्तर प्रदेश, जनमुख न्यूज।लखनऊ ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वर:, गुरु: साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: यह है हमारे देश की गुरु शिष्य की अद्भुत और आदित्य परंपरा। ऐसी परंपरा जिसमें ताउम्र अपने ज्ञान और संस्कार से गुरु अपने शिष्य की गुरुता को बढ़ाता रहता है। और शिष्य भी अपने कर्मों और गुरु के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा से गुरु की गुरुता को आगे ले जाता है। गुरु के रहने पर भी और ब्रह्मलीन हो जाने पर भी। गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ की गुरु शिष्य परंपरा इसकी नजीर है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। हर साल सितंबर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ (योगीजी के दादा गुरु) और उनके पूज्य गुरुदेव की पुण्यतिथि पर आयोजित साप्ताहिक समारोह में गोरखनाथ मंदिर गुरु शिष्य की हमारी ऋषिकुल परंपरा को जीवन्त करता है। इस साल भी १४ सितंबर से इस बाबत शुरू कार्यक्रम २१ सितंबर तक चलेंगे। कार्यक्रम के उद्घाटन और समापन समारोह में मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर खुद मौजूद उपस्थित रहेंगे।इस साल ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की ५५वीं और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की १०वीं पुण्यतिथि है। इस दौरान हफ्ते भर तक देश के जाने-माने कथा मर्मज्ञ रामायण या श्रीमद्भगवत गीता का यहां के लोगों को रसपान कराते हैं। शाम को देश के किसी ज्वलंत मुद्दे पर राष्ट्रीय संगोष्ठी होती है।

