“अंतरिक्ष से नमस्कार”: शुभ्रांशु शुक्ला ने कहा- ‘बच्चे की तरह चलना सीख रहा हूँ’

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज़। भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभ्रांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से ‘नमस्कार’ करते हुए कहा, “मैं एक बच्चे की तरह सीख रहा हूँ कि अंतरिक्ष में कैसे चलना और खाना है। यह भले ही एक छोटा कदम हो, लेकिन भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में यह एक स्थिर और मजबूत कदम है।”
एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री बुधवार दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से ‘ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान के ज़रिए रवाना हुए। मिशन के तहत यान आज शाम 4:30 बजे आईएसएस से जुड़ने वाला है। शुक्ला ने लॉन्च के अनुभव को साझा करते हुए कहा, “जब मैं लॉन्चपैड पर बैठा था, बस यही सोच रहा था कि चलो अब रवाना हो जाते हैं। 30 दिन के संगरोध के बाद मैं केवल उड़ान भरना चाहता था।”
इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर केंद्रीय कैबिनेट ने भी प्रस्ताव पारित कर मिशन की सफलता का स्वागत किया और शुक्ला सहित सभी अंतरिक्ष यात्रियों को शुभकामनाएँ दीं। प्रस्ताव में कहा गया, “शुक्ला 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाएँ और उम्मीदें अपने साथ लेकर गए हैं।”
हालांकि, इस मिशन की राह आसान नहीं रही। 29 मई से अब तक तकनीकी खामियों और आईएसएस के ज़्वेज़्दा मॉड्यूल में दबाव संबंधी समस्याओं के कारण कई बार प्रक्षेपण टालना पड़ा। उल्लेखनीय है कि ज़्वेज़्दा में रिसाव की समस्या 2019 से मौजूद थी, जिसे मिशन से पहले ठीक किया गया।
एक्सिओम स्पेस द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर साझा एक वीडियो में शुक्ला को अंतरिक्ष से उत्साह के साथ भारत को बधाई देते हुए देखा गया। उन्होंने कहा, “यह एक रोमांचक यात्रा है, और मैं अपने अनुभव भारतवासियों के साथ साझा करने के लिए उत्साहित हूँ।”
शुक्ला की यह ऐतिहासिक यात्रा भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ की दिशा में एक नया अध्याय है। भले ही इसरो 2022 तक मानव को अंतरिक्ष भेजने का लक्ष्य पूरा नहीं कर सका, लेकिन इस मिशन से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊर्जा मिली है, जो भविष्य में नियमित मानव अंतरिक्ष उड़ानों की नींव बन सकती है।

