रूस और यूक्रेन युद्ध से हिमाचल के धागा उद्योग पर संकट

नई दिल्ली,जनमुख न्यूज। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास के बीच छिड़े युद्ध के चलते देश की धागा मिलों से होने वाले उत्पाद का निर्यात ३५ फीसदी कम हो गया है। इसका असर हिमाचल की धागा मिलों पर भी पड़ा है। देश की ३० फीसदी धागा मिले बंद हो चुकी हैं।अब धागा मिलें अपनी आय बढ़ाने और मिलों को चालू रखने के लिए घरेलू उत्पादन ज्यादा कर रही हैं, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे। हिमाचल की धागा मिलों में उत्पादन कम होने से नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में बिरला टेक्सटाइल, वर्धमान, दीपक स्पिनिंग मिल, विनसम टेक्सटाइल, सिद्धार्ता, वीपीएल, सारा टेक्सटाइल मिलें काम कर रही हैं। एक धागा मिल जीपीआई टेक्सटाइल बंद हो गई है, इसमें करीब १० हजार कामगार थे। वर्तमान में जो भी धागा मिलें काम कर रही हैं, वे केवल घरेलू उत्पादन कर रही हैं। निर्यात करने के लिए उत्पादन नहीं हो रहा है।यहां से तैयार होने वाला सूती धागा व वस्त्र यूएस, यूरोप, लेटिन अमेरिका, खाड़ी देश व पूर्वी कोरिया आदि देशों में जाता है। युद्ध के चलते वहां के खरीदार डिमांड नहीं भेज रहे है। जिसका सीधा असर धागा मिलों पर पड़ गया है। बिरला टेक्सटाइल के कार्यकारी अध्यक्ष रोहित अरोड़ा ने कहा कि धागा मिल एक वेल्यू चेन है। जो किसान से शुरू हो कर ग्राहक तक समाप्त होती है। किसान कपास तैयार करता है। बनौले से रूई निकलती है। रूई से स्पिनिंग मिलों में धागा बनता है। हौजिरी में कपड़ा तैयार होता है। उसके बाद रंगाई का कार्य होने के बाद कटिंग होती है और उसके वस्त्र तैयार होता है। इस सबके पीछे खर्चे भी होते है। अंत में ग्राहक के पास तैयार वस्त्र पहुंचते हैं।

