तमिल सीखने के लिए आईआईटी मद्रास की डिजिटल पहल

वाराणसी, जनमुख न्यूज़। काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत नमो घाट स्थित स्टॉल संख्या 26 पर आईआईटी मद्रास की नवाचार आधारित शिक्षा पहल ‘विद्याशक्ति’ ने तमिल भाषा शिक्षण को डिजिटल माध्यम से एक नई ऊँचाई प्रदान की है।
“तमिल करकलाम (तमिल सीखे)” थीम के अनुरूप इस मॉडल ने यह प्रदर्शित किया है कि किस प्रकार सिमुलेशन, गेमिंग, क्विज़ और इंटरैक्टिव डिजिटल सामग्री के माध्यम से भाषा को सरल, रोचक और सभी के लिए सुलभ बनाया जा सकता है। 2021 में डॉ. शिवा (आईआईटी मद्रास) के नेतृत्व में आरंभ हुई यह पहल उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में साइंस , टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित शिक्षा को रोचक बनाने के साथ-साथ 650 विद्यालयों में प्रतिदिन दोपहर 2:00 से 2:30 बजे तक लाइव तमिल कक्षाएँ संचालित कर रही है, जहाँ छात्रों को आधारभूत शब्दावली, उच्चारण, दैनिक संवाद और तमिल लिपि की पहचान सहज शैली में सिखाई जाती है।तमिल करकलाम के विस्तार के रूप में विद्याशक्ति द्वारा प्रतिदिन सुबह 10:00 से 11:00 बजे तक सैनिटरी कर्मियों, एनसीसी कैडेट्स और विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षाएँ भी आयोजित की जा रही हैं। इसमें सैनिटरी कर्मियों को उनके कार्य से जुड़े संवाद, कैडेट्स को आदेश एवं परेड शब्दावली तथा छात्रों को फ्लो लर्न मॉडल आधारित चार्टों के माध्यम से तमिल सिखाई जा रही है। यह प्रयास तमिल भाषा को केवल एक अध्ययन विषय न बनाकर उसे जीवन और कार्य की व्यावहारिक भाषा के रूप में स्थापित कर रहा है।विद्याशक्ति का प्रभाव भारत और विदेशों तक विस्तारित हो चुका है। आज यह पहल भारत के 7,210 गाँवों और श्रीलंका के 5,000 गाँवों में सक्रिय है। उत्तर प्रदेश में इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया था, जबकि काशी तमिल संगमम् के प्रथम संस्करण से इसकी सहभागिता रही है। दूसरे और तीसरे संस्करण में विद्याशक्ति को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा विशेष सराहना मिली।
संस्था द्वारा प्रधानमंत्री को प्रस्तुत दस्तावेज़ ‘समाधान’ में भारत की पाँच प्रमुख राष्ट्रीय चुनौतियों का विवरण है, जो शिक्षा से आगे बढ़कर राष्ट्र के समग्र विकास से संबंधित मुद्दों की ओर संकेत करता है।विशेष रूप से, विद्याशक्ति का डिजिटल दीदी कार्यक्रम देशभर की महिलाओं, युवाओं, प्रथम-पीढ़ी के कॉलेज विद्यार्थियों, एकल माताओं और परिवार की सबसे बड़ी बेटियों को डिजिटल कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का अनूठा प्रयास कर रहा है। प्रशिक्षित प्रतिभागियों को प्रतिदिन केवल एक घंटे के योगदान के बदले 2000 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं, जिससे डिजिटल शिक्षा और आजीविका का सीधा संबंध स्थापित होता है।
आईआईटी मद्रास और विद्याशक्ति टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, काशी तमिल संगमम् और आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्हें तमिल भाषा, विज्ञान, टेक्नोलॉजी , इंजीनियरिंग और गणित की शिक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण के इस अभिनव मॉडल को काशी की पवित्र भूमि पर प्रस्तुत करने का अवसर मिला। टीम का कहना है कि यह पहल वास्तव में “तमिल करकलाम” के उस लक्ष्य को साकार करती है, जिसमें भाषाएँ लोगों को जोड़ने का माध्यम बनती हैं। विद्याशक्ति का यह प्रयास देश की भाषायी-सांस्कृतिक विविधताओं को एक सूत्र में पिरोते हुए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और अधिक सशक्त बनाता है।

