यूपी विधानसभा में ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर गरमाई बहस, सत्ता पक्ष ने गिनाईं उपलब्धियां, विपक्ष ने उठाए सवाल

लखनऊ, जनमुख न्यूज़। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को विधानसभा में विजन डॉक्यूमेंट-2047 पर चर्चा की शुरुआत हुई। संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने इसे “विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश, आत्मनिर्भर भारत-आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश” की दिशा में अहम कदम बताते हुए कहा कि इसका लक्ष्य आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक यूपी को देश का सबसे विकसित राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में प्रदेश की जीएसडीपी 29.87 लाख करोड़ रुपये तक पहुंची है, जिसे इस वित्तीय वर्ष में 35 लाख करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है। 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनसे पूर्वांचल और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में उद्योग स्थापित हो रहे हैं।
चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष ने जीरो पॉवर्टी, विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेस टेक्नोलॉजी और आईटी हब जैसे लक्ष्यों को रेखांकित किया, वहीं विपक्ष ने सरकार से पुराने वादों का हिसाब मांगा। सपा और कांग्रेस ने किसानों को एमएसपी, युवाओं को रोजगार, स्वास्थ्य बजट की कमी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाया। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने तंज कसा कि सरकार अब 22 साल बाद नौकरियां देने की बात कर रही है, जबकि 2022 तक घर देने का वादा भी अधूरा है।
बहस के दौरान कई बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक भी हुई। कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि आज की कई सफलताएं पंडित नेहरू के विजन का परिणाम हैं, लेकिन मौजूदा सरकार किसानों और युवाओं के लिए वादे पूरे नहीं कर पाई। वहीं, संसदीय कार्य मंत्री ने विपक्ष पर अराजकता फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि जनता ने लोक संकल्प पत्र के आधार पर ही भाजपा को चुना है।
विजन डॉक्यूमेंट पर तकनीकी, औद्योगिक और महिला सशक्तिकरण से जुड़े प्रस्तावों का भी उल्लेख किया गया। प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने हर जिले में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और तकनीकी शिक्षा पहुंचाने की बात कही, जबकि महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने महिलाओं को हर स्तर पर स्वावलंबी बनाने की योजना बताई। चर्चा के दौरान माहौल कभी उपलब्धियों की सराहना तो कभी तीखी आलोचनाओं से गर्माता रहा।

