काशी के विद्वानों ने दूर किया भ्रम, पूरे देश में ३१ को मनेगी दीपावली

वाराणसी, जनमुख डेस्क। दीपावली उत्सव में उत्पन्न भ्रम के निवारण हेतु ज्योतिष विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद् , श्री काशी विद्वत परिषद् , वाराणसी के साथ-साथ काशी के सभी सम्मानित पंचांगकारों, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वानों की बै’क में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि गणितीय मानों एवं धर्मशास्त्रीय वचनों के आधार पर दृश्य एवं पारम्परिक दोनों मतों से पूरे देश में ३१ अक्टूबर २०२४ को ही दीपावली पर्व मनाया जाना शास्त्रोचित है। यह जानकारी विश्वपंचांग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के समन्वयक, प्रो विनय कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि आज की बै’क में प्रो. रामचंद्र पाण्डेय, प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय जी अध्यक्ष श्री काशीविश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद्, प्रो. चन्द्रमौलि उपाध्याय जी, प्रो रामनारायण द्विवेदी जी महामंत्री श्री काशी विद्वत परिषद्, प्रो गिरिजा शंकर शास्त्री जी, प्रो शत्रुघ्न त्रिपा’ी (ज्योतिष विभागाध्यक्ष), प्रो शंकर कुमार मिश्र (पूर्व धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष), डा. सुभाष पाण्डेय जी , डा रामेश्वर शर्मा जी, डा. सुशील गुप्ता जी, विश्व पंचांगकार डा. अजय कुमार पाण्डेय, डा अनिल कुमार मिश्र, डा सुनील कुमार चतुर्वेदी, डा मोहन कुमार शुक्ल, महावीर पंचांगकार डा रामेश्वर ओझा, हृषीकेश पंचांगकार विशाल उपाध्याय एवं शिवमूर्ति उपाध्याय, रूपेश ‘ाकुर प्रसाद, शिवगोविंद पंचांगकार अमित कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।बै’क के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए विद्वानों ने कहा कि इस वर्ष २०२४ में पारम्परिक गणित के द्वारा निर्मित पंचांगों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं है क्योंकि उन सभी पंचांगों के अनुसार अमावस्या का आरंभ ३१ अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले होकर एक तारीख़ को सूर्यास्त के पूर्व ही समाप्त भी हो जा रही है जिससे देश के सभी भागों में पारंपरिक सिद्धांतों से निर्मित पंचांगों के अनुसार ३१ अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना निर्विवाद रूप में एक मत से सिद्ध है। परंतु दृश्य गणित से साधित पंचांगों के अनुसार देश के कुछ भागों में तो अमावस्या ३१ अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद १ घटी से पहले ही समाप्त हो जा रही है जिससे उन क्षेत्रों में भी दीपावली को लेकर कोई भेद शास्त्रीय विधि से उपस्थित नहीं है और वहाँ भी दीपावली ३१ अक्टूबर को निर्विवाद रूप में सिद्ध हो रही है । दृश्य गणित के द्वारा देश के कुछ भागों जैसे गुजरात राजस्थान एवं केरल के कुछ क्षेत्रों में अमावस्या ३१ अक्टूबर के सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद प्रदोष में कुछ काल तक व्याप्त हो रही है जिससे ३१ अक्टूबर एवं एक नवम्बर के स्थिति को लेकर कुछ विरोधाभास की स्थितियां उत्पन्न हो गई है परंतु धर्म शास्त्रीय वचनों का समग्र अनुशीलन करते हुए वहाँ भी दीपावली ३१ अक्टूबर २०२४ को ही सिद्ध हो रही है।

