एलजीबीटी समुदाय ने गले मिलकर प्रेम और भाईचारे के लिए चलाया फ्री हग अभियान

वाराणसी,जनमुख न्यूज। आज दिनांक ०४ दिसंबर २०२४ को अस्सी घाट बनारस में मानवता प्रेम सहिष्णुता का सन्देश देते हुए खुलेआम गले मिलने का आयोजन ‘फ्री हग डे ‘ बैनर के साथ हुआ। बनारस क्वियर प्राइड समूह ने प्राइड माह के अंतर्गत होने वाले आयोजनों की श्रृंखला में यह आयोजन किया है। ज्ञातव्य है की लैंगिक मुद्दो पर समझ और जागरूकता के लिए बनारस क्वीयर प्राइड शीर्षक से हो रहे आयोजन का यह तीसरा वर्ष है। छात्रों युवाओं से भरे अस्सी घाट पर फ्री हग लिखे हुए पोस्टर लिए ये लोग कौतुहल और आकर्षण का केंद्र बन गए। प्रेम और सहिष्णुता का संदेश लिखे हुए तख्ती लिए हुए एलजीबीटी समुदाय के लोगो ने अपनी पहचान को बताते हुए कि हम समलैंगिक, ट्रांस जेंडर परसन, क्वियर, नॉन बाइनरी आदि की पहचान रखते हैं क्या इस पहचान के साथ हमको अपनाएंगे गले लगाएंगे। इसके बाद आगे बढ़के सबसे पहले घाट पर आरती के लिए दीया बेचने वाले और गुब्बारे बेचने वाले गरीब बच्चों को गले लगाया गया। पैसे न होने की वजह से धर्मशाला होटल में न जा सकने वाले तीर्थयात्रियों को गले लगाया गया जो की ग्रामीण क्षेत्रो से दर्शन पूजा के लिए आए हुए है।बनारस क्वियर प्राइड की संयोजक नीति ने प्राइड माह आयोजन के विषय में बताया। पोस्टर बनाओ , रंगोली आर्ट ,फिल्म स्क्रीनिंग और ओपन माइक आदि के क्रम में प्राइड वॉक मार्च के साथ हम इसका भव्य गौरवपूर्ण समापन करेंगे। इस आयोजन की पूरी बागडोर एलजीबीटी समुदाय के साथियों ने ले रखी है। एलजीबीटी समुदाय से होना अब कोई अपराध बोध नहीं है। मान सुप्रीम कोर्ट ने समय समय पर दिए कई आदेशों में समुदाय के नागरिकों को सुरक्षा दिए जाने और उन्हें उनकी मर्जी से जीवन जीने के संवैधानिक अधिकार को मुहैया कराए जाने के आदेश पारित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कई वर्षों के अध्ययनों के बाद इस निर्णय पर पहुंचा है कि समुदाय किसी भी तरह के मानसिक या शारीरिक अक्षमता में नहीं हैं। फिजियोलॉजिकल औ साइकोलॉजिकल दोनो तरह के अध्ययनों में पता चला कि एलजीबीटी समुदाय के लोग शिक्षा ग्रहण करने में, व्यवसाय करने में, रिश्ते बनाने में , सामाजिक व्यवहार करने में, नौकरी करने आदि हर तरह के क्षेत्र में किसी भी अन्य मनुष्य की भांति ही समान क्षमता रखते हैं । इन अध्ययनों की लम्बी फेहरिस्त और अनुशंसाओं के बाद ने एलजीबीटी समुदाय को स्वीकार्यता दी है।नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भी लैंगिक विषयो पर संवेदनशील समाज बनाने के लक्ष्य को देखते हुए लैंगिक समझदारी और संवेदनशीलता बढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम बनाने पर जोर दिया जा रहा है।आयोजन में प्रमुख रूप से नीति, अन्नू, रागिनी, परीक्षित, आर्या, अनुराग, हेतवी, अनामिका, आरोही, अंकित, विभु, साहिल, उत्कर्ष, नेहा, दिया, नीरज, उमेश, धनंजय आदि मौजूद रहे।


