एटीएम से पैसे निकालना होगा महंगा,बढ़ा इंटरचेंज शुल्क

मुंबई, जनमुख न्यूज। भारतीय रिजर्व बैंक ने एटीएम से पैसे निकालने पर इंटरचेंज शुल्क में वृद्धि की घोषणा की है, जिससे १ मई से नकद निकासी महंगी हो जाएगी। इस बदलाव का असर अक्सर एटीएम का इस्तेमाल करने वालों पर पड़ेगा, जिससे पैसे निकालने की लागत बढ़ जाएगी। आरबीआई ने बताया कि एक मई से मुफ्त मासिक लेनदेन के बाद एटीएम से पैसे निकालने पर दो रुपये से लेकर २३ रुपये तक का शुल्क लगेगा। एटीएम इंटरचेंज शुल्क वह राशि है जो एक बैंक दूसरे बैंक को एटीएम लेनदेन की सुविधा के लिए देता है। बैंक आमतौर पर इस लागत को ग्राहकों पर डाल देते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर एचडीएफसी बैंक का कोई ग्राहक दिल्ली में एसबीआई एटीएम से पैसे निकालता है, तो एचडीएफसी बैंक महीने में एसबीआई एटीएम से तीसरे लेनदेन के बाद शुल्क ले सकता है। शुल्क में संशोधन व्हाइट-लेबल एटीएम ऑपरेटरों के अनुरोध के बाद किया गया है, जिन्होंने अपने व्यवसाय को प्रभावित करने वाली परिचालन लागत में वृद्धि के कारण उच्च निकासी शुल्क की मांग की थी। छोटे बैंकों के ग्राहक, जो एटीएम सेवाओं के लिए बड़े वित्तीय संस्थानों पर निर्भर हैं, सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है।
१० अक्टूबर २०१४ को जारी आरबीआई के परिपत्र के अनुसार, मेट्रो शहरों (मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद) के ग्राहक अन्य बैंकों के एटीएम से हर महीने तीन मु़फ्त एटीएम लेनदेन के हकदार हैं। गैर-मेट्रो स्थानों में, यह सीमा प्रति माह पाँच मु़फ्त लेनदेन ही रहती है। बैंक ग्राहकों को अक्सर तकनीकी त्रुटियों के कारण एटीएम लेनदेन में असफलता का सामना करना पड़ता है, जिससे यह चिंता उत्पन्न होती है कि क्या इन असफल प्रयासों को मुफ्त लेनदेन सीमा में गिना जाएगा।
आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार, तकनीकी समस्याओं – जिसमें हार्डवेयर या सॉ़फ्टवेयर की खराबी, संचार त्रुटियाँ, एटीएम में नकदी की कमी या अमान्य पिन प्रविष्टियाँ शामिल हैं – के कारण विफल लेनदेन को वैध लेनदेन के रूप में नहीं गिना जाता है। नतीजतन, ऐसे मामलों में कोई शुल्क लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त, गैर-नकद लेनदेन जैसे कि शेष राशि की पूछताछ, चेक बुक अनुरोध, कर भुगतान और धन हस्तांतरण – जब जारीकर्ता बैंक के अपने एटीएम पर किया जाता है – को मुफ्त लेनदेन सीमा से बाहर रखा जाता है।

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