हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ निकली नागा साधुओं की पेशवाई

वाराणसी, जनमुख न्यूज। काशी में नागा संतों ने कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार को बेनियाबाग से दशाश्वमेध घाट तक पेशवाई निकली। पेशवाई में शामिल श्री शंभू पंच दशनाम आवाहन अखाड़े से जुड़े नागा संतों का लोगों ने हर-हर महादेव के उद्घोष और पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया।
पेशवाई में शामिल नागा संत शरीर पर चिता भस्म लगा कर अपनी जटाओं को लहराते हुए बैंडबाजा, डमरू, नगाड़ा आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर भाला, तलवार, त्रिशूल, गदा से करतब दिखाते चले रहे थे।१० रथों पर अखाड़े के श्रीमहंत और महंत सवार थे वहीं कुछ साधु बुलेट से भी चलते दिखाई दिए। इस पेशवाई में ५०० से ज्यादा नागा साधु शामिल हुए। नागा साधुओं ने दशाश्वमेध घाट पहुंचकर गंगा में डुबकी लगाई। इससे पहले सुबह साधु-संतों ने अपने आराध्य देव भगवान गणेश और निशान की पूजा की। और फिर खिचड़ी भोज करने के बाद पेशवाई शुरु हुई।

इस मौके पर महामंडलेश्वर अरुण गिरी महाराज ने कहा कि काशी में महा शाही स्नान होता है। शिव के बिना हम कुछ नहीं हैं। इसलिए हम यहां शिव के साथ मसान की होली खेलते हैं। यहां सभी लोग अखाड़े की होली एक साथ खेलते हैं।
वहीं राधा नंद भारती ने कहा कि मैं ११ वर्ष की अवस्था में संन्यासी हो गई थी। मैं पूरे देश में गंगा के स्वच्छता के लिए काम कर रही हूं। मैं कहना चाहती हूं कि गंगा में स्नान के बाद अपना एक अवगुण जरूर त्याग करके जाएं।

काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्थित श्रीशंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़े को छठी शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। इस अखाड़े को पहले आवाहन सरकार के नाम से जाना जाता था। सत्य गिरि महाराज ने बताया कि इस अखाड़े के आराध्य प्रथम पूज्य श्रीसिद्ध गणेश जी हैं, क्योंकि किसी भी देवता का आवाहन गणेश जी से ही करते हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात में आवाहन अखाड़े के नागा साधुओं का मुगलों से युद्ध हुआ था। मुगलों ने गुजरात के वीरलगांव के एक स्थान पर नागा साधुओं को जहर देकर मार दिया था।

