अब अजमेर शरीफ में मंदिर होने का दावा जांचेगी कोर्ट, जारी किया नोटिस

अजमेर, जनमुख न्यूज़। यूपी के संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने के दावे पर निचली अदालत के सर्वे के आदेश के बाद सर्वे के दौरान हुए बवाल में पांच लोगों की मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि आज राजस्थान के अजमेर में अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर बताने वाली याचिका पर निचली अदालत ने दरगाह कमेटी और एएसआई को नोटिस जारी कर दिया है।
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल (शिव मंदिर) होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी। याचिका पर आज अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिवीजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की और इस मामले में दरगाह कमेटी और एएसआई को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। वादी विष्णु गुप्ता की ओर से हरदयाल शारदा की ओर से लिखी पुस्तक का हवाला देते हुए वाद प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उन्होंने अजमेर की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को की जाएगी।

धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है दरगाह
कोर्ट के आदेश पर खदिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि दरगाह आस्था और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है और विश्व भर में इसके करोड़ों अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि हमने कई दौर झेले हैं हिंदू सेना पिछले कई वर्षों से इस तरह की बयानबाजी कर रही है यह हालात देश के लिए हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट में इसका जवाब देंगे दरगाह गरीब नवाज की दरगाह है और रहेगी। जय दरगाह धार्मिक त्योहार का प्रतीक है यहां सभी धर्म के लोग समान भाव से आते रहे हैं। और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं।
हिंदू संगठन का दावा
दावा है कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था।मंदिर में पूजा और जलाभिषेक होता था। याचिका में अजमेर निवासी हर विलास शारदा द्वारा वर्ष 1911 में लिखी पुस्तक का हवाला दिया। पुस्तक में दरगाह के स्थान पर मंदिर का जिक्र है। दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंशतहखाने में गर्भगृह होने का प्रमाण होने का दावा भी किया गया है।

