अवैध अप्रवासी भारतीयों के साथ आतंकवादियों जैसा सलूक: भड़का विपक्ष, विदेश मंत्री ने दी सफाई

नई दिल्ली, जनमुख न्यूज। हथकड़ी-बेड़ी लगाकर अमेरिका से अवैध अप्रवासी भारतीयों के डिपोर्टेशन मुद्दे पर संसद में आज जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने ‘सरकार शर्म करो’ के नारे लगाए। इसके बाद दोनों सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिया गया। विपक्षी सांसदों ने मकर द्वार पर हथकड़ी लगाकर भी प्रदर्शन भी किया। विपक्षी सांसदों ने इस दौरान पोस्टर भी लहराए जिसमें लिखा था- बेड़ियों में हिंदुस्तान, नहीं सहेंगे ये अपमान।
मालूम हो कि अमेरिकी सैन्य विमान सी-१७ ग्लोबमास्टर ५ फरवरी को दोपहर १ बजे १०४ अवैध प्रवासी भारतीयों को लेकर अमृतसर के गुरु रविदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचा था। इस दौरान नागरिकों के हाथ में हथकड़ी और पैरों में चेन बांधी गई थी। इसकी तस्वीरें सामने आने के बाद देश के लोगों में आक्रोश है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और कहा है कि हमारे नागरिकों के साथ आतंकवादियों जैसा सलूक किया गया लेकिन सरकार चुप है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने एक ट्वीट में लिखा कि, ‘अमेरिका से भारतीय नागरिकों को जिस अमानवीय तरीके से भारत भेजा गया है। उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीर थी। ये बेहद ही शर्मनाक है। ये विश्व पटल पर भारत और भारतीयों का अपमान है। आज घ्र्Dघ्A गठबंधन के नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की खामोशी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि बहुत बात की गई थी कि मोदी जी और ट्रम्प जी बहुत अच्छे मित्र हैं, फिर मोदी जी ने ऐसा क्यों होने दिया? क्या इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है कि उनको हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर भेजा जाए? ये कोई तरीका है। प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना दिखा रहे थे, वे अब चुप क्यों हैं? भारतीय नागरिकों को गुलामों की तरह हथकड़ी लगाकर और अमानवीय परिस्थितियों में भारत भेजा जा रहा है। विदेश मंत्रालय क्या कर रहा है? विपक्ष को संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने दे।’
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि, १०० से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका से बाहर निकालने पर पूरा देश हैरान है। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। सरकार इस पर चुप क्यों है। भारत ने इस अमानवीय व्यवहार की निंदा क्यों नहीं की।
विदेश मंत्री ने संसद में दी सफाई
विपक्ष के हंगामें के बीच आज राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो उन्हें वापस ले लिया जाए। हम अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।
जयशंकर ने कहा कि सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर है। ऐसा होना भी चाहिए। निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों और ऐसी एजेंसियों के खिलाफ आवश्यक, निवारक और अनुकरणीय कार्रवाई करेंगी।’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो वे अपने नागरिकों को वापस लें। यह नीति केवल एक देश पर लागू नहीं है। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, यह कई वर्षों से है।
जयशंकर ने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति (अमेरिका से निर्वासित भारतीय) के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर न हो।
कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि कल १०४ लोग वापस आए हैं। हमने ही उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि की है। हमें ऐसा नहीं समझना चाहिए कि यह कोई नया मुद्दा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो पहले भी होता रहा है।
जयशंकर ने अमेरिका से अब तक भारत निर्वासित किए गए लोगों के आंकड़े भी सदन के सामने रखे। उन्होंने कहा कि साल २००९ में ७३४, साल २०१० में ७९९, साल २०११ में ५९७, साल २०१२ में ५३० भारतीयों को निर्वासित किया गया। उन्होंने इस संबंध में २०२४ तक के आंकड़े साझा किए।
उधर कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हमारे नागरिकों के साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव किया गया। शशि थरूर ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब हमारे लोगों को डिपोर्ट किया गया है। अभी चर्चा इसलिए हुई क्योंकि ट्रम्प ने लोगों की अपेक्षा से थोड़ा जल्दी यह कर दिया है। यह सुनना थोड़ा अटपटा है कि उन्हें जबरन सैन्य विमान में वापस लाया गया। हथकड़ी लगाई गई। इसकी कोई जरूरत नहीं थी। उन्हें कमर्शियल फ्लाइट पर बिठाकर ही वापस भेजना चाहिए था।’

